Keshav Suman   (Keshav Suman (Shiv))
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Joined 11 December 2018


Joined 11 December 2018
19 MAR 2022 AT 22:58

महोबत में मेहबूब को कोई नाम ना देना
कहीं लिखा नहीं ये बस मेरा तज़ुर्बा है
अब देखता हूँ चाँद तो मन भर आता है
मेने इतनी मर्तबा उसे चाँद कहा है

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15 MAR 2022 AT 4:46

कभी रात का चाँद देखकर लिखा
कभी सुबह की ओस देखकर लिखा
मेने लिखा तब तब जब जब कायनात के ज़र्रे ज़र्रे में तुम्हारी मौजूदगी के निशान पाए
जैसे सूरज का उगना और तुम्हारा मुझे call करना दोनों एक जैसा ही तो है दोनों मेरी ज़िंदगी को रोशन कर देतें है...हलकी धूप की तरहा ही शर्माती हो तुम तारीफ़ सुनकर और तुम्हारा गुस्से में होना धूप का तेज़ होना लगता है,,,मुस्कुराती हो तो लगता है बारिश हो रहीं है हस देती हो तो ख़ुदा मेहरबान लगता है,,,
वो तुम्हारा बेख्याली में गाली दे जाना इतना मासूम लगता है कि होश में माला फेरने वालों की मुझे श्रद्धा फीकी लगती है अब ख़त्म होता जा रहा है फरक तुम्हारे और भगवान् के बीच का दोनों जब चाहो सवार सकते हो मेरी ज़िंदगी दोनों के हाथ में मेरा बिखर जाना रखा है

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8 MAR 2022 AT 9:59

उसके आने से आते हैं उसके जाने से चले जाते है,,, सब अहसास जो मेरी बातों को कविता बनाते हैं वो अर्थ देती है मेरी ख्वाहिशों को कहानी होने के, मेरे किरदारों में नाज़ुकता उसकी ज़ुल्फ़ों के घुंगरालेपन से आती है या उसके लहज़ों की नज़ाकत से, उसके ख्यालों की बेफिक्री ही तो हक अदा करती है मेरी आँखों को शरमाने के बिन बात पे, वरना मेरी गुस्ताखियाँ माफ़ी के लायक तो नहीं...


और मालूम है मुझे कि कोई रिश्ता नहीं हमारे दरमियाँ फिर क्यों जो लड़का होश में लोगों से बात नहीं करता वो बड़बड़ाता रहता है नींद में नाम तुम्हारा ❤

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4 MAR 2022 AT 21:24

ड्रग्स समझ के नमक चाट बैठा हूँ
ना काटना था हिज़्र तेरा,,,बस काट बैठा हूँ
तेरे प्यार के आंसू गलत जगह से निकल रहें हैं
मैं तड़के में जो मिर्चें दस काट बैठा हूँ
तेरे इश्क़ में मुझे कहाँ होश रहती है
अपनी काटनी थी,,, दोस्त की नस काट बैठा हूँ

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20 FEB 2022 AT 12:24

अजीब है इंसान,,,

जानवरों की बली देकर प्राथना करता है कि "हे ईश्वर हमपे दया करो"

पता नहीं इंसान खुद ईश्वर कब बनेगा

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20 FEB 2022 AT 12:08

जो पेंटिंग बोलती नहीं वो बस दाग है पन्नो पर


जला दीजिये उस कविता को जिसमे दृश्य ना हो

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20 FEB 2022 AT 10:52

मुझे उन वेश्याओं का दर्द और महानता महसूस होती है जिनका खरीद लिया जाता है जिस्म पर नहीं चूका सकता पातें हैं दाम उनके मन का उनकी रूह का,,, नहीं खरीदी जा सकती उनकी हमदर्दी, दया, दोस्ती और प्रेम... इन सबको कमाना पड़ता है

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20 FEB 2022 AT 10:12

मर्ज़ देता है पर ना इलाज़ रखता है
कितने वाहियात मिज़ाज रखता है
हम मर गए हैं इसका लेहाज़ रखते रखते
ये इश्क़ है कि ज़रा ना लेहाज़ रखता है

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20 FEB 2022 AT 9:55

कुछ ऐसे भी दर्द खरीदें है दोस्त

उदासियों में भी उमीदें हैं दोस्त

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19 FEB 2022 AT 20:24

पहली महोबत्त ज़िंदगी की बड़ी हसीन रहती है
थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी थोड़ी नमकीन रहती है

वो चाँद जितने खूबसूरत और चाँद जितने दूर हैं
मैं ज़मीन हूँ और ज़मीन तो ज़मीन रहती है

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