जो प्रेम राधाकृष्ण का था
जो प्रेम माता सीता और श्री राम का था
जो पवित्रता उस प्रेम में थी
वही प्रेम तुमसे में करता हूं ।
तुम्हारा मान भी बना रहें
मेरा सम्मान भी सदा रहें
परिवार की मान प्रतिष्ठा रखकर
जो प्रेम को सीमा होती है
वही प्रेम तुमसे में करता हूँ।
परिवार को कभी शर्मिंदा कर
तुम मेरे पास न आना
जिसने जन्म दिया तुझको
उसको कभी न रुलाना ।
हमारे प्रेम पर सदा
बड़ो का आशीर्वाद रहें
जिस प्रेम से माँ बाप का सर
समाज के सामने न झुके
वही प्रेम में तुमसे करता हूँ ।।
-