सावन कि ये पवन पुरवाई
यादों की गुल्लक लेकर आयी ।
वो तेरी जुल्फों से टपकती बारिश की बूंदें
मेरी नजर अब बस उसको ही है ढूंढे ।
अब वो नज़ारे नज़र नहीं आते
बात तो ये है कि ,
अब वो भी तो नज़र नहीं आते।-
Keshav Kumar
(Keshav jha)
44 Followers · 5 Following
Aa jaa tujhe apna haal-e-dil Sunau, pass baitho thodi der ,ki muddt baad koi ghar aaya hai
Joined 2 January 2018
23 SEP 2021 AT 7:34
8 NOV 2020 AT 14:21
जिंदगी के हर मकाम पे खुद को तन्हा पाता हूँ मैं
खुद से ज्यादा दुसरे को तवज्जो देने की सजा पाता हूँ मैं।-
18 AUG 2020 AT 21:47
ये घर की चारदीवारी,
और इस की जिम्मेदारी
इसी में कट गई माँ की जिंदगी सारी।।-
16 AUG 2020 AT 20:33
यूँ खफा हो तुम तो सारा जग रूठा सा लगता है
सच कहूँ, बिना तेरे हर ख्वाब झूठा सा लगता है
-
9 AUG 2020 AT 0:05
ये काली घटा छट नहीं रही
गम की बादल घट नहीं रही
यूँ तो मेरा मुस्कुराता हुआ चेहरा ,सबको नजर आता है
पर इसके पीछे का गम कहाँ कोई समझ पाता है। ।-