कोई किसी को क्यूं खोता है?
कोई किसी के लिए क्यूं रोता है?
कोई किसी के लिए क्यूं जीता है ?
चाहता क्यूं है किसी के साथ रहना ?
इस क्यूं का जवाब,
क्यूं देर से मिलता है?
जब मिलता है तो कोई
क्यूं पास नहीं होता है?
पूरा जीवन मानव इस क्यूं की
तलाश में हीं रहता है,
पता चलने के पश्चात
मानव महामानव हो जाता है।
फिर उसके लिए कोई
व्यक्ति विशेष महत्व नहीं रखता,
समाज, देश और विश्व महत्व रखता है।-
तुम्हें ना जानते हुए भी,
जानने की कोशिश रही...
तुम रही यादों में,
तुमसे मिलने की ख्वाहिश रही...
जब से मिले हम-तुम,
रोज मिलने की आदत रही...
खुले जो अतीत के पन्ने,
उस पर घंटों बातें होती रही...
हाल-ए-दिल मैंने सुनाया,
तुम भी उसमें कम ना रही...
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सब कुछ मत मांग उससे
गर तुझे सब कुछ मिल जाएगा
फिर औरों को क्या मिलेगा,
और सब कुछ मिल भी जाए
फिर भी कुछ अधूरे ख्वाब
कुछ अधूरी दास्ताने
जिंदगी में रह हीं जाती है।-
नहीं आती चेहरे पे रौनक,
तेरे रूठने से ऐ सनम...
है ना तुझे भी खबर ?
ऐ मेरे हमकदम!-
जोर लगाना
घोंसला को छोड़ जाना
जरूरत पड़ने पर
तोड़ जाना रिश्तों को
जरूरतों को भूल जाना
खुद से मिलना खुद हीं
एक नया अर्थ
जीवन को देना
आसान नहीं होता
खुले आसमान में उड़ना।-
बुरा हूं, सही है लेकिन बेगैरत नहीं हूं मैं,
गरीब हूं फकीर सही , बेशोहरत नहीं हूं मैं।-
समय नहीं देता यहां से, कुछ भी ले जाने का मंत्र।
बहुत कुछ छोड़ जाने को, यहां पर कर देता स्वतंत्र।।-
यह दुनिया रंगमंच है,
यहां पर हर कोई अपने किरदार में है।
हर किरदार में छिपे हैं; हजारों चेहरे,
हर चेहरों के पीछे का अलग किरदार है।-
शीर्षक : मार्गदर्शन
मत झांक किसी के कमरे में,
मत कर किसी की चाह...
सपने देखने हैं.. तो देख ले,
मत चांद को कर तबाह...
तारीफ अपनी, जुबान दूसरों की
मत समझ इसी को वाह...
जान स्वयं को, मान स्वयं को,
पहचान तू अपनी राह...-
मन को समझाने में,
मुश्किलें तो होंगी हीं
खुद की आदतों को बदलवाने में,
मुश्किलें तो होंगी हीं
स्वयं को सच बतलाने में.....
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