Keshav Gouri   (K.K.)
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Joined 24 May 2019


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24 DEC 2022 AT 2:53

यूँ तो ख्वाहिशों का दौर आज़माते
मग़र बेहुदा ख्याल दबाना पड़ा ,,
उसकी ख़ाहिश थी ख़ामोशी
मग़र बेइंतिहा प्यार
कुछ इस तरह सादगी से रहना पड़ा ,,

यूँ तो नर्म मखमल सरे राह बिछा था
मगर काँटों - कंकड़ों पर चलना पड़ा,,
उसके सामने रहो देखो मत
समझो - समझाओ बोलो मत
कुछ इस तरह से ताल्लुक निभाना पड़ा ,,

यूँ तो मोहब्बत का जश्न मानते
मगर उपवास निभाना पड़ा
उसके दीदार की भूख,
दो घूंट का सब्र
कुछ इस तरह प्रेम निभाना पड़ा ,,

यूँ तो ख्याल उम्दा और पाक रहे "केसू"
मगर खत लिखने का ख्याल भुलाना पड़ा ,,
बात हो दिल की दिल से
मुलाकात ना हो
कुछ इस तरह इश्क़ निभाना पड़ा ,,

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12 DEC 2022 AT 19:14

सर्दी ,गर्मी ,सावन ,बहार ,पतझड़ सब सहा था
बीज फलदार पेड़ ही तो बना था ,
        दीवारें बनाई ऊँचे काँटे भी लगाए
        परिंदा.... हाँ परिंदा कैद हुआ था ,
एक दीवार में अदनी-सी खिड़की
क्या परिंदा कभी उड़ पाया था ,
        हवा, नक्श-अक्स, फ़र्श-अर्श को तरसा
        कितनी मुद्दत की कैद है यह ना बताया था ,
अब ये आलम की खिड़की चिनवा दी गयी
फिर भी परिंदे का पर-पर नोचा था ,
        खुले खिड़की अरमान परिंदे का "केसू"
        ना चल पाए... खुद चोंच से पंजों को नोचा था

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19 NOV 2022 AT 9:23


Love is created
Not
Adjusted

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30 OCT 2022 AT 12:52

इसने पुछया औ कोण है
           इसनू सब दस्या औ की है तां कोण है ,
इस तो कुज वी छुपाया नयीं सी
          उसनू फेर हड बीता दस्या नयीं सी ,
इस तो वारियां सब खुशियां सी
          उस तो हारया तां नसीब सी ,
इस नू उस नाल परखया नयीं
           मोहब्बत विच कित्थे कुज तुलया सी ,
परहेज ते बेवफ़ाई तों कीता रुसवाई तो नयीं सी
           रिश्ते निभावण तो कद मुकरया सी ,
इस नू उस नाल मिलाया रब ने
           नयीं तां रब ने हमेशा केहा मोड़या सी ,
फेर वी, इस दे सवालां तो हारया सी
            उस दी खामोशी ने बस जितया सी ,
मुल्ल किसे दा ऐ की जाणे इसने बिन मुल्ले पाया सी
           उस दी सीरत वखरी उसने तां मुल्ल वधाया सी ,
इस दा  उस दा  मेल कोयी ना "केसू"
            ऐंवें ई  इस  नू  उस दा दस्स बैठा सी ,,,,

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4 OCT 2022 AT 22:22


♥️
Innocent love touches
Heart
NOT
Body
🌷

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21 SEP 2022 AT 4:18

बदनामी, रुसवाई, ज़िल्लत, यूँ ही हासिल न हुई
          तुम्हें कुछ संवारने की चाह थी ,
बदसलूकी, तोहमत, हिकारत यूँ ही हासिल न हुई
          तुम्हें नये फन सिखाने की चाह थी ,
आज़ादी का हर पर तुम्हारे कांधे पर लगाया
          तुम्हें ऊँचाई पर उड़ाने की चाह थी ,
सब जानते हो तुम कोई नौसिखिया नहीं
          तुम्हें पिंजरे से निकालने की चाह थी ,
हक्क, सहूलियत, बे-ग़रज मोहब्बत दी बिन मांगे
तुम्हें बराबरी का दर्जा देने की चाह थी,
अब ये आलम है मुझ में तुम्हें कोई दुश्मन है दिखता
          तुम्हें तुम्हारे नाम के मुताबिक बनाने की चाह थी ,
माना तुम उनकी ज़्यादा मानते हो ""केसू""
           मैं भी हूँ कहीं तुम में यही समझाने की चाह थी ,

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19 SEP 2022 AT 23:56

तेरे पट्ट दा सिरहाना होवे
          मेरे गल्ला ते तेरा हथ्थ होवे ,
महक तेरे जिस्म दी होवे
         मेरे साहां विच घुल्ली होवे ,
ना सुत्ता ना जागदा एहो जा समां होवे
         कोई मखौल वाली गल्ल होवे ,
तेरे निक्के-निक्के हास्से ते नचदा मोर होवे
         तूँ  ते  मैं  जिदां चन्न ते चकोर होवे ,
कोई वल्ल जयी घोड़ी होवे
        अम्बरां विच दौड़ी होवे ,
जान तथ्यों वारि होवे
        अरशां दी सवारी होवे ,
लगाम तेरे हथ्थ होवे
         मेरी हवा विच उडारी होवे,
किस्से नूँ ना ख़बर होवे
          दोवां दी इको ही नज़र होवे ,
साडा वासा कित्थे दूर होवे
         जित्थे कोयी भैड़ी ना नज़र होवे ,
मींह इश्के दा पैंदा होवे  ""केसू""
         इको-मिक जिंद-जान होवे ,,,,,,

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19 SEP 2022 AT 18:06


काश चाहत की ख़ुसूसियतें होतीं
        मैं तुम्हें फ़ेहरिस्त लिख कर देता
काश मोहब्बत एक फलसफा होता
         मैं तुम्हें याद करवा देता
काश प्यार का भी फार्मूला होता
          मैं तुम्हें समझा देता
काश प्रेम का मतलब होता
          मैं तुम्हें उसका फायदा बता देता
काश उल्फत का पहाड़ा होता
          मैं तुम्हें रटा देता
काश इश्क़ सौदा होता
          मैं तुम्हें शर्त के मायने बता देता
तुम्हारी हद में शफ़क़त ना थी ""केसू""
          वर्ना यह जाम तू खुद पी लेता

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18 SEP 2022 AT 13:35

काश चाहत की ख़ुसूसियतें होतीं
                 मैं तुम्हें फ़ेहरिस्त लिख कर देता ,
काश मोहब्बत एक फलसफा होता
                 मैं तुम्हें याद करवा देता ,
काश प्यार का भी फार्मूला होता
                 मैं तुम्हें समझा देता ,
काश प्रेम का मतलब होता
                 मैं तुम्हें उसका फायदे बता देता ,
काश उल्फत का पहाड़ा होता
                 मैं तुम्हें रटा देता ,
काश इश्क़ सौदा होता
                 मैं तुम्हें शर्त के मायने बता देता ,
तुम्हारे ज़हन में शफ़क़त ना थी ""केसू""
                 वर्ना यह जाम तू खुद पी लेता ,

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28 AUG 2022 AT 15:42

तेरी तारीफ में लफ़्ज़ों को मोतियों सा पिरोया
कोई है जो मेरे हर ख़्याल पर नाज़ करता है

तुम्हें मुसलसल जुबानी बताना पड़ता है
कोई है जिसे मेरी खामोशी का मजमून पता है

मेरे साथ रहकर - जानकर भी तू अनजान है
कोई कोहसारों के पीछे मेरी सिसकी पर तड़पता है

ना जाने क्यूँ तुझे यक़ीन न हुआ "केसू"
कोई है जो मेरी वफ़ा का दम भरता है

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