गुम हो जाने का डर है,
रास्ते कुछ ठीक नहीं,
जो साथ तेरा अब नहीं,
गुमनामी का डर है।-
हर शब्द को मखमल सा बनाया था,
ताकि उन्हें शायरी कठोर न लगे।
हर पंक्ति को अलंकृत किया था,
ताकि उन्हें कविता अधूरी न लगे।
हर पात्र को गुलाम बनाया था,
ताकि उन्हें कहानी फीकी न लगे।
इस तरह इजहार-ए-मोहब्बत किया था,
ताकि उन्हें प्यार में कमी ना लगे।-
आसमानों से भी तो पूछा था मैंने,
ये बारिश प्यार की, बिन मौसम तो नहीं,
अब भरोसे के लायक दोनों ही नहीं रहे।-
रात ! तू भी ना सहारा देगी,
आंखें मेरी दगा नहीं देगी,
गर रोना बिलखना इश्क है !!
तो सुबह तलक ये बता देगी।-
रात गहरी है, अंधेरे का सहारा लिए...
छिप ना जाना, मुश्किलों का बहाना लिए।
काला आसमां है, चमकते सितारे लिए...
कोशिश तो कर, मंजिल रुकी है मेहनत लिए।-
हम भारतीय हैं,
हम आभाव में जीते और,
कठिनाई को जीतते हैं।
हम भारतीय हैं,
हम जमीन में जीते है और,
ऊंचाई को जीतते हैं।
हम भारतीय हैं।-
तुझे भूल जाऊं ऐसी दवा है क्या,
मामला प्यार का है ख़बर है क्या,
मेरे साथ रहकर भी मशहूर हो जाती,
यूं शायरी में शामिल होना जरूरी है क्या..-
पोथी का ज्ञान हो या जीने की राह,
मार्गदर्शन देने वाले ही गुरु महान।-
सच और झूठ के बीच तुम हो,
तुम हो भी और नहीं भी,
तुम्हारा होना ही तो सच है,
और तुम मेरे हो तो झूठ...-
यूं तो हजारों से बात करता हूं,
तनहा बैठ तारों से बात करता हूं,
सवालों में उलझा हुआ मैं,
बस तुझे ही याद करता हूं।
यूं तो नजारों से बात करता हूं,
पता नहीं खुद से कितनी बात करता हूं,
सालों से बस यूं ही बैठा मैं,
बस तुझे ही याद करता हूं,
तुझमें उलझा में,
बस तेरी ही बात करता हूं।-