अब कुछ भी नहीं बचा उस मोड़ पे,
जहाॅं गयी थी तुम मुझे छोड़ के,
ख़ुदा जाने ऐसी कौन सी आफत आन पड़ी थी,
जो तूम्हें मेरे ज़ज़्बातों से खेलने की जरूरत आन पड़ी थी,
हाल-ए-दिल सिर्फ मैं ही जानता हूं,
ख़ुदा से सिर्फ तुम्हारे लिए दुआ ही मांगता हूं,
माना छोड़ गयी थी तुम मुझे प्यार और सवालों के दोराहों पर,
फिर भी जाता है मेरा हर कदम सिर्फ तुमसे ही जुड़ी राहों पर,
इंतजार कर रहा हूं आज भी तुम्हारा प्यार की खट्टी-मीठी राहों पर,
क्योंकि लिखा है नाम तुम्हारा मेरी हाथ की उलझी सी रेखाओं पर।
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