Keshav Christopher   (- केशव किशोर"क्रिस्टोफ़र")
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Joined 3 March 2018


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3 DEC 2024 AT 18:17

कोई साथ नही देता
अगर तुम्हें आगे बढ़ना है
रिश्ते नाते आड़े आएंगे
पर ये सीढ़ी तुमको खुद चढ़ना है
गर कोई साथ दे भी देगा
वो अपना अधिकार लेगा
बनकर समंदर,
तू सबको किनारे लगा
खोये हुए अपने बल को जगा,
भेड़ो की चाल, शांत नदी पोखरे
सबको अच्छी लगती हैं,
शांत जल सड़ जाता है
गरेड़िया पीछे पड़ जाता है
समंदर उफ़ान मारता है,
अवाम का गुमान कड़ जाता है.....

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27 MAR 2024 AT 11:09

अध्यापक या बाबा

दोनों अपने अपने क्षेत्र के व्यवसाय है, अध्यापकों को कोसा जा सकता है पर बाबाओं को नही....

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15 JAN 2024 AT 12:15

ये विकास ऐसा हुआ कि

बिस्कुट अब कुकी बन गया
ब्लाउज़ अब ब्रा बन गया...

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22 NOV 2023 AT 12:36

भेड़े अपनी राह खुद ढूंढ लेती हैं
फिर भी गड़ेरिया भेड़े हांकता है ।

बड़ी मजबूती से खड़ा है हुकूमत का ढांचा
पर न जाने ये विकास क्यों लांकता है ।

जाग जाते हैं, पशु पक्षी और इंसान
एक जमीर है जो देर से जागता है ।

झूठ है तो जीवित है, बिकी हुई कलम
अब तो सच भी बच बच के भागता है ।

मौसम बदलते हैं फर्क नही पड़ता,
सवाल पूछ लो तो मुखिया थरथर काँपता है ।

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4 NOV 2023 AT 15:09

हम ने लिखा
उस ने पढ़ा
उस ने पढ़ा
हमें अच्छा लगा
हम ने मुस्कुराया
उसने नजरे झुका ली
हमने उसको देखा
उसने आहिस्ता आहिस्ता
अपनी चाल घुमा ली
रास्ता तय करती गयी
वो अकेले, हम देखते रहे उसे
इन नजरों
और मुस्कुराने के खेल में
न जानें ऐसे करके
कितनी माशूकाओं ने
मुक्कमल अंजाम पर पहुँचने
से पहले,
अपनी आरजू मन मे छुपा ली......

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11 OCT 2023 AT 17:33

कैसे आदम ?
हो तुम कहते हो
अमन चाहिए
फैला कर हैवानियत
फूलों भरा चमन चाहिए
रैन बसेरा उजाड़ कर किसी का
मन चाहा सनम चाहिए
जंग पड़ोसी से करके
प्यार भरा मन चाहिए
लफ्ज़ो पे पित्त सा कड़वापन
फिर भी कानों को सुनने
को मीठापन चाहिए
जानवरों जैसे कर्म तुम्हारे
पर इंसानी जनम चाहिए
कैसे आदम हो तुम....?

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23 SEP 2023 AT 8:23

अगर देखना गुनाह है
तो नजरें झुकाए
मत लालचाए
चरित्र बचाए.....

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18 SEP 2023 AT 7:12

संसार मे बेरोजगारी से बड़ा कोई रोग नही....

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17 SEP 2023 AT 7:17

सत्य क्या है ?

सत्य बड़ा मृदुल है
सरल और तरल है
सत्य ही निर्मल है
विकल परिस्थितियों में
सत्य अमर है
कठिन समय मे
सत्य अजर है
सत्य ही नाम है
सत्य ही राम है
सत्य ही काम है
सत्य ही निश्छल है
सत्य ही सकल है
विवेक मरे
सत्य ही अक्ल है
सत्य ही अटल है......

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3 AUG 2023 AT 19:33

आरजू थी चलकर पहुँचूँ मंजिल
अंधेरे हुआ,
रास्ते मे उसका मकान आ गया

अंधेरो को मिटाने को हमनें
जैसे ही
चराग़ जलाया तूफ़ान आ गया ।

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