सफेद फूलों की सुवास और तुम्हारे प्रेम का एहसास
दोनों एक से लगते हैं मुझे...
जब भी इन्हें सोचती हूं
रूह तक महक जाती है...-
लफ्जों में उतर गए
कुछ कविताएं , कुछ कहानी बन
पन्नों पर बिखर गए .... read more
हज़ार खुशियों के मिल जाने की दुआ कहकर
चला गया वो शख़्स आज अलविदा कहकर
किसी मकान में रोशन चिराग़ था कोई
बुझा दिया हवा ने उसको बेवजह कहकर
रहा ना दर्द का ना ज़ख्म का निशाँ बाकी
दिये हैं ज़ख्म उसने दर्द की दवा कहकर
उसे यकीं ना था कि दिन भी ऐसे आयेंगे
गुजरेंगी उसकी शामें मेरी दास्ताँ कहकर
कुसूर उसका नहीं था ये ख़ता मेरी थी
किया गुनाह उसे इश्क़ में खुदा कहकर
कहीं गहरे बहुत गहरे वो मुझमें रहता है
मिली मिसाल मुझे उसका आईना कहकर...-
मुस्कुराते हैं लब तो आँखों में नमी क्यूँ है
साथ तू है मेरे फिर भी तेरी कमी क्यूँ है...-
हों रिश्ते या तख़्त-ओ-ताज सब यहीं छूट जाएगा
ईमान साफ रखिये बस वही साथ जाएगा...-
ये तेरी यादों की तपिश है या मेरे सिरहाने पर
तेरे आने की आस का कोई चिराग जलता है...-
हूँ फ़िक्रमंद भी और
दिल में तेरा ग़म भी नहीं
हज़ार दर्द हैं और
फिर भी आँखें नम भी नहीं
ना जाने कौन सी मंज़िल पर
ले चली है डगर
मैं हूँ सफ़र में
साथ रख़्त-ए-सफ़र भी नहीं...-
नज़रें ठहरीं हैं तेरी राहगुज़र पर आज तलक
क्यूँ मेरे दिल को तेरा इंतज़ार आज भी है...-
चार कदम का चलना
फिर चलते -चलते रुक जाना
एक बार मेरा पीछे मुड़ना
और राह तेरी तकते जाना
कुछ पल ही तू मेरे साथ चला
पर फिर भी तेरा याद आना
अब तुझ बिन सब कुछ सूना है
सब कुछ लगता है वीराना...-
यूँ आदत डाल दी उसने मुझे तन्हाई की
हर तरफ भीड़ में उसकी यादों के साथ तन्हा हूँ...-