अब बेटियों को घर की लक्ष्मी नहीं ,
काली का दुर्लभ रूप लेना होगा ।
ऐसे ही सबने चुप्पी बांधी तो ,
हर घर, हर गली में एक रावण होगा।
हर घंटे एक नई निर्भया को चीखना,
एक नई दुर्गा को बिलखना होगा।
आज कलयुग का काला भेष देखकर,
कोख का बच्चा भी रो रहा होगा।
जिनके लिए लाल बत्ती , शख्त सिक्योरिटी है
नाजाने कितनी मासूमियत छीनी है , इसका जवाब आज उन्हें देना होगा ।
अगर हम अब इस नाकामयाब सिस्टम से नहीं लड़े तो ,
शायद अगला नंबर हमारा ही होगा ।
उठो द्रोपति , आवाज उठाओ , खुदको शशक्त बनाओ।
अब कलम या बेलन नहीं शस्त्र उठाकर नरसंहार करना होगा।
खुदके लिए खुदको लड़ना होगा ।
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उन्होंने पूछा कैसा लगता है तुझे मेरे साथ यूं घंटो समय बिताकर।
ठीक वैसे ही मंत्रमुगध हो जाती हूं जैसे "चाय पारले जी" को पाकर ।-
शिकवें या शिकायतें होंगी जरूर ,
खुदा से, या खुद से....
पर चलो ना इस नव आगमन में ,
भूले भरे इन जख्मों को सींचे नई उम्मीद से....-
WORLD MENTAL HEALTH DAY 2020
"थोड़ा तुम बोल दो ना , थोड़ा उसकी सुन लो ना ,
दिल में दफन उसके जो दर्द हैं , थोड़ा उनसे मिल लो ना,
आज खुलकर उसे जमीं-ओ-समां से गुफ्तगू करने दो ना,
चुप चाप रहकर ही उसे सिर्फ अपने दो पल का "वक़्त" दे दो ना ।"
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Let's grow more, let's fly high ,
Unlock your wings, dream beyond the sky...-
ऐ मेरे हज़रत -ए- रहबर....
"दवा" हो तुम मेरे हर ज़ख्म की कहकर ,मुझे ही ताउम्र अपना "मरीज़" बना बैठे !
अफ़साने यूं ही "निगार" करके रोजाना,या खुदा! हमे ही जब्र-ए-गुलज़ार बना बैठे....
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ऐ मेरे हज़रत -ए- रहबर....
"दवा" हो तुम मेरे हर ज़ख्म की कहकर ,मुझे ही ताउम्र अपना "मरीज़" बना बैठे।
अफ़साने यूं ही "निगार" करके रोजाना,या खुदा! हमे ही जब्र-ए-गुलज़ार बना बैठे।
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चांदनी to बादल -
"जिस शान से तू मेरे सामने से निकला करता है ना ,
कसम से जिस्म में तूफान सा उट्ठने लगता है,
और जब तू यूं आहिस्था आहिस्ता मेरे करीब आता है ना ,
जन्नत के उस चमकते सितारे सा एहसास होता है।
और जब तू गुस्से में यूं बरसा करता है ना , या खुदा,
मेरी खूबसूती देख बिजली भी इठलाने लगती है।
बस अब तू थम जा, दूरी तो बहुत है,
पास ना सही, करीब आकर ही
मेरी रूह में बस जा......
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A school lovestory🌺
"आज भी तुम बिल्कुल नहीं बदले" !
( Read the caption )-