सुना है निगाहें मैखाना हैं तुम्हारी लबों से जाम हमे भी पिलाईये
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मेरी तुमसे मोहब्बत वो अंजाम करायेगी तेरे चाहने वालों की उम्र वक्त से पहले छोटी हो जायेगी
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तुमसे शुरु तुमपे खत्म होती है ये मोहब्बत है जनाब इसकी वजह कहाँ होती है
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इतनी तो मैंने साँसे भी नहीं ली
जितना मैंने तुम्हें याद किया है-
पशु बलि से ईश्वर खुस है इस झूठ से बड़ा कोई स्वांग नहीं
झूठ अहंकार लोभ घ्रणा इनसे बड़ा कोई त्याग नही-
बारिश के बिना सावन अधूरा रह गया मोहब्बत तो हुई मगर प्यार अधूरा रह गया करनी थी बहुत सी बातें उनसे मगर इंतजार में उनके सब अनकहा रह गया
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काश कोई पैमाना होता दर्द नापने का
कि आँखों से आंसू अब छलकते नहीं है-
सब होगा सम्भव अगर महादेव तेरा साथ होगा वो खुद चलकर आयेगा मेरे पास जो किस्मत में ना होगा
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मोहब्बत करती है मुझसे मगर मेरी बात नही समझती बेवफा नही है वो हाँ मगर मेरे ज़ज्बात नही समझती
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पिता का मान भी रखना है मोहब्बत भी निभानी है इतनी आसान कहाँ मेरी जिन्दगानी है नाम की तरह एकता के सूत्र में पिरो के रखा है सबको फिर भी मेरी बातों में लगती सबको नादानी है काश कोई समझे मेरे भी जज्बातों को मेरी भी एक जिंदगी है मेरे भी सपने है ये कोई किस्सा नहीं मेरी अपनी कहानी है
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