KC Joshi   (कैलाश "चुभन")
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Joined 25 April 2020


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4 DEC 2022 AT 11:06

हर धड़कन में रहे मिले ना जुदा होकर
क्या करना था उसे बताओ खुदा होकर

जो होता ईश्क में उसे भी पता होता
सकती है आह भी कभी खो दुवा होकर

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15 AUG 2022 AT 10:24

हुस्न बिखरा है जमाने में
काट दी हमने किराने में

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2 APR 2022 AT 23:36

इक झूठी मोहब्बत से
इक बेहया महबूब से
अच्छा लगता है
यकीन मानो
खुद को काबिल करने में
खुद को हासिल करने में

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31 MAR 2022 AT 23:30

रात चांद और तनहाई
किसलिए तू याद फिरआई

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30 MAR 2022 AT 23:57

कभी कभी तनहाई में
घनी घनी परछाई में
वही दिखें तो अच्छे हैं
बुझे दिए आशनाई में

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30 MAR 2022 AT 23:42

या सही तुमने किया
सोचना है क्यों ये अब
अब न ये मुद्दा रहा

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10 JUN 2020 AT 13:01

ये तब होता है,
जब किसी की बात में वजन होता है।
और उस वजन के दबाव से,
हमारा पुर्वाग्रह दब रहा होता है।
फिर हम बात को गौण कर,
विमर्श उस व्यक्ति के चरित्र पर ले जाते हैं,
और इस तरह से
हम बात के वजन से मुक्त हो जाते हैं ।

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7 NOV 2021 AT 12:51

तुम्हें किस बात का गम है
भूलो ना ज़िन्दगी कम है

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5 NOV 2021 AT 10:31


दिल का दिया जला सका ना मैं
अब कौन सा दिया जलाऊं कह

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3 NOV 2021 AT 0:54

रात के दामन में नींद भी है जाग भी है
जिंदगी लानत सही मगर ये भाग भी है

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