हर धड़कन में रहे मिले ना जुदा होकर
क्या करना था उसे बताओ खुदा होकर
जो होता ईश्क में उसे भी पता होता
सकती है आह भी कभी खो दुवा होकर-
KC Joshi
(कैलाश "चुभन")
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ग़ालिब ने कहा है "न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता डुबोया मुझको होने ने, न हो... read more
Joined 25 April 2020
4 DEC 2022 AT 11:06
2 APR 2022 AT 23:36
इक झूठी मोहब्बत से
इक बेहया महबूब से
अच्छा लगता है
यकीन मानो
खुद को काबिल करने में
खुद को हासिल करने में-
30 MAR 2022 AT 23:57
कभी कभी तनहाई में
घनी घनी परछाई में
वही दिखें तो अच्छे हैं
बुझे दिए आशनाई में-
10 JUN 2020 AT 13:01
ये तब होता है,
जब किसी की बात में वजन होता है।
और उस वजन के दबाव से,
हमारा पुर्वाग्रह दब रहा होता है।
फिर हम बात को गौण कर,
विमर्श उस व्यक्ति के चरित्र पर ले जाते हैं,
और इस तरह से
हम बात के वजन से मुक्त हो जाते हैं ।
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