उसकी याद मुझे चैन से सोने नहीं देती
उसकी मौहब्बत मुझे किसी ओर की होने नही देती
कैसे बताऊं मैं उसे अपने दिल की हालत
उसकी हंसती हुई तस्वीर मुझे रोने नही देती-
तड़पती धड़कनों के अल्फाज ने मुझे घेरा है!
आंखो में हर वक्त तेरी यादों का फेरा हैं!
बन रही तस्वीर तेरी पलकों पर मेरे,
तन्हा रातों में बस एक एहसास तेरा हैं!-
किस्मत ने साथ मेरे कैसा खेल ये खेला है
दुनिया के इस मेले में मेरा दिल अकेला हैं-
सिसक सिसक के रो रहा है मन
लेकिन पलको के द्वार सुखे पड़े है
अधरो ने धर लिया है मौन स्वयं पर
लेकिन शब्द अभी भी हठ पर अड़े हैं
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सांसों में तड़प है धडकनों में निराशा
समझते नहीं अब खामोश लब कोई भाषा
कहने लगी है अब तो मूझसे मेरी आंखे
कब तक देते रहे तुझे हम झूठा दिलासा-
जो झुक जाते है इनके कदमों में
उनकी हंस हंसकर मिसाल देते हैं
कुछ लोग समाज और इज्जत के नाम पर
जिती जागती मोहब्बत का जनाजा निकाल देते हैं-
कौन समझेगा मेरे क्रोध में छुपी वेदना?
कौन समझेगा मेरी प्रतीक्षा में छुपा प्रेम?
कौन समझेगा मेरी मुस्कान में छुपे आंसू?
कौन समझेगा मेरी कठोरता में छुपी कोमलता?
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तेरी आंखे बयां कुछ राज़ करती है
तेरी बाते मुझे बेआवाज करती है
तेरे चेहरे में समाया है चाँद सा नूर
तेरी हंसी मोहब्बत का आगाज करती है-
उसकी गली से जब हम गुजर रहे थे!
अपने ही ख्यालों से मुकर रहे थे!!-