असंख्य के भावों से भरा मौन ही मन की अनगिनत भावनाओं की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है।
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"ये है ज़िंदगी"
"न सुबह होती है न शाम होती है !
बस यूँ ही ज़िंदगी तमाम होती है !!
इक दौड़ ऐसी कि मंज़िल ही नहीं !
यहांँ सुकून की नींदें यूँ ही हराम होती है !!"
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चले आओ
दिल की हवेली सदा देती है चले आओ
सफ़र जिंदगी का मुश्किल और ना बनाओ !
कितनी रातें रोशन मेरी कितनी अंधियारी है
चांँद तुम मेरे सुरमई मन पे चाँदनी बरसाओ !
झिलमिल उजालों के सितारे सजे है अंबर में
तुम ख़ुद को बादलों की ओट में ना छुपाओ !
पलछिन गम और खुशियाँ मुझ में बहती है
कोमल मन को यूँ रुसवाई से ना तड़पाओ !
दिल की बातें दिल ही जाने यूँ न झुठलाओ
बहाने बनाकर दिल ए नादां और न सताओ !
अक्सर बीते लम्हे तन्हाइयों में कसक देते हैं
कुछ यादें तो मेरी झोली में हसीन भर जाओ !
यह मौसम प्यार की शहनाइयांँ बजाते आते हैं
एक गीत तो मेरी मुहब्बत का तुम सुनाओ !
ख़ुद की परछाइयांँ भी आईना दिखाती है
दिल के एहसास छुपा के मन न बहलाओ !!!-
खूबसूरत ज़िंदगी
ज़िंदगी की खूबसूरती छिपी है
उम्मीदों, ख्वाबों, सपनों में
प्रकृति और मोहब्बत में
ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है
इसे बिंदास दिल से जियो
ज़िंदगी की खूबसूरती छिपी है
होठों के साथ आँखों और
दिल की मुस्कुराहट में
ज़िंदगी ख़ुद की अभिव्यक्ति हैं
इसके एहसास को निखारो
ज़िंदगी सौंदर्य का सफ़र है
इसे निहारो और सजाओ
एक खूबसूरत ज़िंदगी !!!— % &-
मेरे सपने मुझे थमने नहीं देते
अनोखी राह दिखाते हैं
मेरे सपने मुझे निराशा में
आशा की किरण दे जाते हैं
उड़ने का हौसला सिखाते हैं
कुछ अलहदा सा करने का
मेरा नया अंदाज बन जाते हैं
मेरे सपने मुझे रातों में जगाते हैं
आँखों में सुनहरे ख़्वाब भर जाते हैं
मुझे नया आयाम दे जाते हैं
मेरे सपने मेरी ज़िन्दगी में
रोशनाई से उजाला भर जाते हैं
मेरे सपने मुझे हारने नहीं देते
जीने की नई उम्मीदें जाते हैं !!!— % &-
यह लम्हा फिलहाल
मैं अल्फाज दिल के कागज पर
बिखेरना चाहती हूंँ
मैं अरमान मन के
ज़िन्दगी में जीना चाहती हूँ
यह लम्हा फिलहाल
मैं कुछ अनूठे पलों पर
खिलखिलाना चाहती हूँ और
उसी लम्हे को ग़ज़ल बनाना चाहती हूँ
यह लम्हा फिलहाल
फूलों की तरह खिलना,
महकना चाहती हूँ
खुशियों के गलियारे में
गुलज़ार होना चाहती हूँ !!!— % &-
ये सबसे निराला रिश्ता है
अटूट बंधन है दोस्ती तो
बिंदास ही रहने दो
शर्तों की जंजीरों से
क्यों बांधते हो इसे
मुक्त आसमाँ में सांँस लेने दो
सारे स्वार्थों से परे इसे
दो किनारों से रहने दो
तुम नदी की धारा संग
किनारों को नहीं बहा सकते
दोस्ती को दोस्ती ही रहने दो
रिश्तों की जंजीरों से मुक्त रहने दो !-
पथरीली बहुत है राहें,
अपनी राह बनाऊँ कैसे
उलझनें अनगिन जीवन में,
बोलो ये सुलझाऊँ कैसे ?
हज़ारों गम की लकीरें है,
ऐसे में मुस्काऊँ कैसे
तन्हाई भरा ये आलम है,
दिल को मैं बहलाऊँ कैसे ?
चुभ जाती है अपनी बातें,
तुमको ये बतलाऊँ कैसे
लम्हें मौजों के आते नहीं,
फुरसत से इठलाऊँ कैसे ?
उदासियाँ दर्द के साए हैं,
मन को ये समझाऊंँ कैसे
तराने कहीं खो गए दिल के,
गीत सुरीले गाऊँ कैसे ?
काव्यांजलि
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दिल को आए गर सुकून
ज़िंदगी हमसे प्यार करती है
मुस्कुराती है गम में भी
हम पे जां निसार करती है
रूठता है गर खुद से ही
तो दिल से मनुहार करती है
जीना गर भूल जाए कोई
फिर भी एतबार करती है
मन की बातें सुनकर ये
जिन्दगी इसरार करती है
हार नहीं मानती तन्हा सी
कोशिशें बार बार करती है
जीने के हज़ार तरीके ये
फिर से अख़्तियार करती है
सफर में हो अगर हमराही
ज़िंदगी हमसे प्यार करती है !— % &-
एक नजाकत है
तेरी शर्मीली निगाहों में
तेरी खनकती हँसी में
तेरे रुखसार के रंग में
तेरे लिबास के ढंग में
तेरी चूड़ियों की खनक में
तेरी आवाज़ की धनक में
तेरी नखरीली तकरार में
तेरी पायल की झनकार में
तेरी मधुर मनुहार में
एक नजाकत है तेरे प्यार में !!!— % &-