कभी लिखुंगी उन ख्वाइशों
को फिर से इन पन्नों पर,
जो कभी पूरी हो ना सकेंगी
अब कभी।-
दिन के उजालों में मेभी रोशन हो जाती हूं,
फिर इस अधेरी रात में तन्हा हो जाती हूं।
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कितनी खुशी होती हैं न,
किसके आपका हो जाने से।
आपके के मन में,
ममता के भाव भर जाने ने से।
उम्मीदों से दामन को ,
थामके सफर चलता रहता हैं।
फिर उसी सफर में,
अधूरापन छा जाता हैं।
कैसी क्रूरता ये विधाता दिखलाता हैं,
देके उम्मीदें पहले हमें ढेरो,
फिर दामन खाली कर जाता हैं।
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इन समझदारो की दुनिया में,
मैं नासमझ कहलाऊ।
दे दे अगर हक प्रेम का,
तेरी राधा बन जाऊ।
न दे सके हक प्रेम का ,
तो कह दे राग कोई सुनाऊं।
बनकर मीरा
मैं तेरी दीवानी कहलाऊ।
न सुन सके कोई राग मेरा ,
तो मैं खामोश हो जाऊ।
तू बस देख मुस्का देना,
मैं उस मुस्कान मैं ही खो जाऊ।-
मैं एक खुली किताब सी ,
तुम अल्फाज़ बन जाना।
मैं बेजान सी मॉम की गुड़िया,
तुम रोशन कर जाना।
मैं ख़्वाब सतरंगी बुनती हूं,
तुम हकीकत कर जाना।
मैं बन साहिल भटकती फिरू,
तुम किनारा बन जाना।
डगमगाऊ जो अपनी मंज़िल से,
तुम सहारा बन जाना।
सहमे से मन के इस कोने में,
तुम आशा की किरण बन जाना।
मेरी हर मंजिल को पाने का,
जरिया तुम बन जाना।
मैं खामोश अपने लबों से ,
तुम शब्द बन बिखर जाना।-
हवस में वो अपनी कितना दरिंदा हो गया,
छह साल की बच्ची को नोच
कर मौत की सौगात दे गया।
ज्ञान देने वाला खुद ही
अज्ञानी हो गया,
रक्षक ही यहां तो भक्षक हो गया।
अब कैसे कोई बच्ची स्कूल जाना चाहेंगी,
आचार्य को देखकर सम्मान दे पाएंगी।
ए पुरुष तो कैसे इतना हैवान हो गया,
फूल से कोमल कली को पल में नीचो गया।-
नही सोचा था अभी तक तुम यू बदल जाओगे,
इश्क है हमसे ये कहते थे किसी और के हो जाओगे।
टैटू बनया था मेरे नाम का अपनी कलाई पर ,
हाथो में मेंहदी से किसी और का लिखवाओंगे।
करके यू बेरंग मुझे तुम खुद तो रंग जाओगे,
उसके नाम की हल्दी से तुम खिल जाओगे।
तोड़ कर मुझसे इश्क की ये डोर तुम दूर जाओगे,
बांधकर बंधन नया किसी और के हो जाओगे।
प्रीत तोड़ कर प्रीतम किसी और के हो जाओगे,
नही सोचा था अभी तक तुम यू बदल जाओगे।
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जिंदगी तूने मुझे हर दम रुलाया हैं,
फिर भी मेरा हौसला कभी न डगमगाया है।
मेने तेरे हर फैसले को हस्के गले लगाया है,
पर में गलत हूं ये हर बार तूने जताया है।
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मेफिलो में सायर की कुछ लिख जाना है,
अनजान हु अभी सबके लिए वैसे तो में
कभी न भूल पाओ मुझे ऐसा नाम कर जाना है।-