Kavita Shah   (कविता शाह)
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Joined 24 July 2019


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31 AUG AT 0:21

ऐसा कि जहां अंतर्मन तक जीवन खोखला
वहीं वक्त न जाने कितनी परीक्षाएं लेकर
बार-बार नींव हिला देता कुछेक का तो जीवन इससे
अछूता परन्तु जिससे ये हार टकराए उसकी नींव
ऐसी हिलती जिससे संभलना भी बड़ा मुश्किल आखिरकार वही आशा या उम्मीद कि कभी तो
हार की असलियत के सत्य का पर्दा गिरेगा ही।

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12 AUG AT 11:32

🌹🙏टीजड़ी माता का त्योहार 🙏🌹
जय हो जय मातारानी
सुहाग की रक्षा करें ईश्वर
मेंहदी,बिंदिया की रहे बरकत
आज करें माता का पूजन-अर्चन
चंद्रमा का करें मन में ध्यान-दर्शन।
अंखड सुहाग की हैं कामना,
जीवनभर संग रहने की मनोकामना।
जय हो जय मातारानी,
🌹🙏टीजड़ी माता 🙏🌹

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4 AUG AT 22:37

करके क्या हासिल
ऊर्जा की हानि देखो
कुछ अलग जीवन को देख
क्रोध का न कोई आकार-प्रकार
पर दिखलाता है ये हाहाकार।

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3 AUG AT 3:18

बहुत ही उधेङबुन हो जाएगी
राह जो जानी-अंजानी उसी
पर चलकर ही जीवन है ना
क्या वक्त को दोष देना अपने
जीवन की राह बनाओ हमेशा।

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25 JUL AT 23:21

जब सही निर्णयशैली लेकर अपनी
जीवनयात्रा को सही मार्ग पर अग्रसर
कर जीवनसार समझकर इक अलग
अनुभव चाहे अच्छा या बुरा भी
उससे सीख लेकर अपने जीवन को
सार्थक जीवन मूलमंत्र तक निरन्तर बढ़ाकर।

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24 JUL AT 23:35

कैसे न बयां हो
कितना वक्त रुका
और फिसल गया सामने ही
जैसे-तैसे संभल-संभलकर
फिर वो जज़्बात जो बिखरे से
न कुछ बयां हुए बस अंदर ही कहीं धुंधले से
लगे कभी ठीक ही पर वो अपना इक वैराग्य लिए।

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6 JUL AT 21:12

तुम अपने जुनून को संग लेते
क्यों अपनी जीवनशैली की रेखा,
को संकुचित करके अपने तक ही
छोड़कर ये जहान बढ़ाकर कदम।
क्या मिला न मिलेगा तुम्हें उतना ही।

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3 JUL AT 2:05

दो अक्षर का ये शब्द
परन्तु इतना शक्तिशाली कि सही राह पर
तो दुनिया में अकेले ही सशक्त विपरीत
इसके तो मानव अस्तित्व ही हिल जाए
क्या इस पर काबू करके वापस अपनी
राह पर निरंतर बढ़कर मंज़िल तक ही।
जब इस चंचल मन पर कुछेक धुंधले बादल
छा जाए तब जीवन मूलमंत्र ही बदल जाता है।
ऐसा अंधकार जिसमें उजाला तो दिखाई देता
परन्तु उस तक पहुंचने के पहले का डगमगाना ही
गलत जो वापस पीछे धकेलता।तो देखिए........
इक सरल-कठिन की डगर पर थे
मन के जीते न धुंध कहीं राह जरूर
कठिनाई की ओर कदम बढ़ाकर चले भी हम
थे डगर से बेखौफ अपनी ही धुन में अग्रसर।
क्या मंजूर अंजान हम कोई उद्देश्य जो पूर्ण भी
इक-इक पल जो बरस की तरह बस आस फिर
उस वक्त से आ तू आज इम्तिहान न लें बहुत हुई
तेरी मनमानी भी न सोच-समझ का चक्र चला
कहीं तू अब ठहराव ला।मन की बात मन तक।
ये मन तो मन है..........



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7 JUN AT 1:06

रास्ते का वरण करो
कभी तो मंजिल तक।
बस उस वक्त का इंतजार करो,
न रुका है न रुकेगा होगा परिणाम सुखद ही।

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28 MAY AT 0:14

कोई नहीं हमें अपनी ही सुननी होगी,
जीतेगा वहीं जो सुनकर सही राह पर बढ़कर
अपनी उच्च अंकाक्षाओं को छूकर जीवन के
मूलमंत्र तक सुलझकर अंत तक मंजिल पर
पहुंचे और वास्तविक जिन्दगी को जिए।

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