Kavita Kudiya   (Kavita Kudiya)
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Joined 29 December 2017


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Joined 29 December 2017
19 APR AT 7:12

अक्सर रातों मे लिखता हूँ
मैं दिन कि बातें...
गुमसुम सी रहती हैं जो
होठो पे मेरे, मन कि वो बातें.
केहती नहीं कुछ भी ये बातें
पर समटे लेतीं हैं खुद मे मुझको यूँ...
जैसे समझती हैं ये मन को मेरे..
मेरे मन कि ये बाते..
कभी कोई प्रश्न चिन्न है
तो कभी किसी प्रश्न कर उतर...
हर हाल मे साथ है मेरे..
मेरे मन कि ये बाते
कभी उंगती है मेरे होठों तले
कभी किसी अमोद होतीं है ये बातें
कभी किसी गंभीर संवाद में..
कभी इतराती हुईं युवन के मंदमात में
पर दिन से रात तक मुझ में रहती हैं...
मेरे मन कि ये बातें...

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18 APR AT 14:12

शुरू से शुरूवात के लिए..
ज़िन्दगी मे ज़िन्दगी के साथ के लिए...
एक नई भोर से मुलाक़ात के लिए...
एक दूजे में जिंदगी के विश्वास के लिए..
जो कुछ भी बाकी हैं अभी..
उस अधूरे से पूरे साथ के लिए...
चलो फिर से मिलके मुस्कुराते हैं...
एक दूजे के साथ लिए ...

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15 APR AT 7:29

भोर के उजियारे कि ..
पक्षियों कि चेचहाठ कि..
कलियों के खिलने कि
और बाग़ में भवरे कि गुंजन कि
जो देखीं नहीं रात
उस सुबह से मिलने कि..
अंधेरा बात करता हैं...
दिन से रात के ढलने कि...
और खुद में भोर के मिलने कि...

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12 APR AT 7:26

you spend countless moments in darkness and with every passing moment your hunger to shine goes up to the next level and you remove all the barriers that block your path in this journey to shine...

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4 APR AT 7:14

कमाल हैं जिंदगी
उम्र भर जीते हैं रहे तुझे
और जीना तुझे आया ही नहीं
न मुस्कुरा सके, न उदास रहे ..
जिंदगी के लम्हों ने हम कुछ सिखया नहीं
सतरंग कहलया ये जहान
और इस के रंगो को हमें देखना आया नहीं...
उम्र भर जीते रहें तुझे...
और तुझे जीना हमें आया नहीं...
कमाल हैं न जिंदगी...

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2 APR AT 7:42

मेरी ख़ामोशी को मैं ही न समझा,
समझा सारा जहान हमने...
पर अपने ही जहान को...
मैं कहां समझा....
मिलता रहा जहान भर से
समझदार मैंने ये जहान समझा....
न -समझ, समझ मुझे हसता रहा जहान मुझपे...
मैं जहाँन भर कि समझदारी पे...
न समझी से हँसाता रहा...
मेरी ही ख़ामोशी को मैं ही न समझा...
उम्र बीत गई समझदारी से जीने मे...
आखिरी वक्त पे न समझी से मिला...
मिला जिंदगी से तब...
जब जहान भर से मैं बेफ़िकारी से मिला...
मेरी ख़ामोशी को मैं ही न समझा...

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31 MAR AT 23:21

ख़ामोशी कितना कुछ बोलतीं हैं,
ज़हन में मेरे , तेरे लव्ज खोलती हैं
सुन लेता हूं मैं, वो सभी कुछ
जो शायद तू न मुझसे बोलतीं हैं
ख़ामोशी कितना कुछ बोलतीं हैं.

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28 MAR AT 7:51

मैं रस्तो पे सफर करने लगा.
जिंदगी कुछ इस तरह बसर करने लगा.
मंजिले अब नहीं मेरी
मैं मुसाफ़िर सा दुनिया मे मशहूर होने लगा

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26 MAR AT 14:14

Beauty lies in being in love with the right person, for whom I waited a long time and then suddenly
encounter with the love that i looked for my entire life...
The sun is shining like it never does, the wind blows all over and touch my face and saying that
she is happy for me..
Every word i speak is clear and meant for him or her...
Everything is just as beautiful as it could be..
In just a fairy tale...

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26 MAR AT 8:54

जब लिखने लगा तो समझने लगा जिंदगी क्या हैं,
तेरे कुछ अनकहे किस्सों का एक गुलसिता हैं,
कुछ उलझती सी राहों मे,
कई गुमसुम से ख़्याबो का जहान है..
जिंदगी मुझ मे तेरे होने का और
तुझ मे मेरे होने का एक हसीन फलसफा है
जब लिखने लगा तो समझने लगा जिंदगी क्या हैं..

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