24 JUN 2019 AT 6:45

एक इतवार,
एक चाय,
तुम्हारी बातें सुनते सुनते,
सांसे गरम,
चाय ठंडी,
आंखें तुम पर जा टिकी,
चाय खत्म,
पर बातें शुरू,
कितना अच्छा आता है,
इतवार भी कभी कभी।

- कविता (काव्या)