Kavita Koncepts   (कविता (काव्या))
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Joined 12 February 2019


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13 JAN 2023 AT 22:04

शाम को उतरते हैं अँधेरे,
रात भर ठहर जाने को ....

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12 DEC 2022 AT 15:26

सिखाते हैं मुझे वो जिंदगी के फलसफे ऐसे,
कुछ बेच कर कुछ डिग्रियां ली हो मैंने जैसे ...

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24 NOV 2022 AT 11:41

कहाँ मुमकिन है,किसी से दोबारा प्यार करना,
तुम जब मिलो कभी मुझसे, जरा बेफिक्र मिलना|
ये काम हो गया, ये रह गया अभी,
बहुत कम है मुझपे वक़्त की मेहरबानियां|
रेत का घरोंदा है और मिजाज में तल्ख़ है बहुत,
मैं तो समझूंगी नहीं,
तुम जरा तुनकमिजाज न बनना |

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24 NOV 2022 AT 11:32

तेरी चंद बातें घुल गयी है, मुझमें इस तरह,
अब मैं खुद से बातें भी करती हूँ तो बस तेरी....

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13 NOV 2022 AT 21:13

कुछ वहम जरुरी हैं जीने के लिए,
वर्ना सच के सदमे बहुत है इस जहाँ में |

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12 NOV 2022 AT 20:57

और कभी कभी पतझड़,
जीवन में भी उतर जाता है,
आँखें सुर्ख स्याह रंग भर लेती है,
मन सर्द पीला हो जाता है ....🍁🍁🍁🍁

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21 OCT 2022 AT 21:40

राख समेटी, राख लपेटी, बस मिट्टी में ही सिमट गया, लाखों और करिश्मे है उस खुदा के, तू बस माया में फंस गया |
पल में तोला , पल में माशा, पल में जीवन बिखर गया, बूँद बूँद में सिमटा बादल,
जाने कौन घडी में बरस गया |
किसी ने ओढी, किसी ने चेहरे पे मली,
कोई अंदर रख गया,राख की काली कालिख में भी कोई कितना निखर गया |
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25 SEP 2022 AT 21:23

सुनो,
समय अपनी गति बढाकर तुम्हे तुम्हारी हदों में रखना चाहेगा,
तुम अड़ जाना, लड़ जाना,
पर अपनी नियति खुद लिखना,
क्यों डरते हो उससे, जो घटित ही नहीं अभी,
तुम मत घबराना उससे भी,
जो बीत गया है कहीं,
उठो कि ये भोर तुम्हारे लिए है,
चलो कि ये शोर तुम्हारे लिए है,
सुनो फिर से ....
तुम रुकने के लिए नहीं बने |

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25 SEP 2022 AT 21:17

पर अब तुम्हे पाना नहीं मैंने |

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25 SEP 2022 AT 21:15

महज मुश्ताक नही है तेरा साथ पाना,
कुछ और भी ख़्वाहिशयात शामिल है जीने को इसमे |

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