शाम को उतरते हैं अँधेरे,
रात भर ठहर जाने को ....
-
सिखाते हैं मुझे वो जिंदगी के फलसफे ऐसे,
कुछ बेच कर कुछ डिग्रियां ली हो मैंने जैसे ...-
कहाँ मुमकिन है,किसी से दोबारा प्यार करना,
तुम जब मिलो कभी मुझसे, जरा बेफिक्र मिलना|
ये काम हो गया, ये रह गया अभी,
बहुत कम है मुझपे वक़्त की मेहरबानियां|
रेत का घरोंदा है और मिजाज में तल्ख़ है बहुत,
मैं तो समझूंगी नहीं,
तुम जरा तुनकमिजाज न बनना |
-
तेरी चंद बातें घुल गयी है, मुझमें इस तरह,
अब मैं खुद से बातें भी करती हूँ तो बस तेरी....-
कुछ वहम जरुरी हैं जीने के लिए,
वर्ना सच के सदमे बहुत है इस जहाँ में |-
और कभी कभी पतझड़,
जीवन में भी उतर जाता है,
आँखें सुर्ख स्याह रंग भर लेती है,
मन सर्द पीला हो जाता है ....🍁🍁🍁🍁-
राख समेटी, राख लपेटी, बस मिट्टी में ही सिमट गया, लाखों और करिश्मे है उस खुदा के, तू बस माया में फंस गया |
पल में तोला , पल में माशा, पल में जीवन बिखर गया, बूँद बूँद में सिमटा बादल,
जाने कौन घडी में बरस गया |
किसी ने ओढी, किसी ने चेहरे पे मली,
कोई अंदर रख गया,राख की काली कालिख में भी कोई कितना निखर गया |
🤩-
सुनो,
समय अपनी गति बढाकर तुम्हे तुम्हारी हदों में रखना चाहेगा,
तुम अड़ जाना, लड़ जाना,
पर अपनी नियति खुद लिखना,
क्यों डरते हो उससे, जो घटित ही नहीं अभी,
तुम मत घबराना उससे भी,
जो बीत गया है कहीं,
उठो कि ये भोर तुम्हारे लिए है,
चलो कि ये शोर तुम्हारे लिए है,
सुनो फिर से ....
तुम रुकने के लिए नहीं बने |-
महज मुश्ताक नही है तेरा साथ पाना,
कुछ और भी ख़्वाहिशयात शामिल है जीने को इसमे |-