आसमान के एक छोर पर,
शायद एक डोर लटकी है,
जो दिखती नही किसी को,
जो धरती को आसमां से मिलाती है।
- कविता (काव्या)
14 APR 2019 AT 11:15
आसमान के एक छोर पर,
शायद एक डोर लटकी है,
जो दिखती नही किसी को,
जो धरती को आसमां से मिलाती है।
- कविता (काव्या)