जान कर के जान लीजिए गा।
हम है तेरे मांन लीजिये गा।।
वक़्त ने दूर किया है आपसे।
लड़खडाऊ गर मैं थाम लीजिए गा।।-
दिल मे बसा जो मेरे , उसको सुना रहा हूँ।।
तू हर दम दूर होकर के भी मेरे पास होता है।
क्या इस बात का तुझको भी अहसाश होता है।।
आंखे बंद करता हूँ और तुम आ जाती हो।
ये वाकया दिन में तो कई कई बार होता है।।
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आरजू है इतनी सी की तू बस अब जल्द मेरा हो जाये।
जब भी मिलूं तुझसे बीते पूरी रात और सवेरा हो जाये।।-
दूर तलक अंधेरा है देखो तो,दूर तलक अंधेरा है देखो तक।
कुछ कदम आगे बढ़ाओ तोदिल से,कुछ तो उजाला दिखे।।-
मै भुला हुआ हूँ सब कुछ मुझे अपने घर का पता दो।
जाना नही है अब कही जरा मुझे भी ये बता दो।।
मैं जानता हूँ तेरी आशिकी किसी और से है बेवफा।
मुझको जो तड़पाया है तूने खुद को अब सजा दो।।-
वो तो सच है तेरा अहसास दिल से जाता नही।
दिल मे तू ही बसा है मेरा दिल बताता नही।।
कहने को तो कई मिले है मुझे प्यार करने वाले।
क्याहै तुझमे जो तेरा ख्याल अभी भी जाता नही।।
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तुझसे शिकायत क्या करूँ ,तूने हमे सबकुछ दिया।
मेरे गम तूने लिए सब, मुझको न तनहा किया।।
है शिकायत खुद से ये, तुझसा कभी न हो सका।
जो नही था तेरा खुद का,वो भी ला मुझको दिया।।
क्या कहूँ इसको बता तू, प्यार है या एक सजा।
ज़िन्दगी ने तुझको लेकर, दी मुझे कैसी सजा।।
कुछ भी सोचू हर दफा ,आ जाती हो तुम सामने।
आंख खुलते ही मुझे क्यों,छोड़ जाती हो बता।।
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जानकर वो भी मिलने तो आते नही।
मिलके कहते हैं तुम तो बुलाते नही।।
ये पता है मुझको है,तू है मंजिल मेरी।
जो हो मंजिल उसे घर पे लाते नही।।-
देखा है सूर्य को तुमने आते हुए
शाम होते ही वापस को जाते हुए
ना कोई है थकन ना है शिकवा कोई
रोज आता है अपने नए जोश में
क्या कभी देखा है तुमने तारों को भी
आसमान को बस यूं सजाते हुए
कोई देखे कभी न ये ख्वाहिश लिए
रात लोगो की देखो सजा वो रहे
जुगनू को कभी तुमने देखा है क्या
काली रातों में भी जगमगाते हुए
क्या तुम्हे हैं पता कि वो कर क्या रहे
काली रातों में खुद को जला वो रहे
वक्त कैसा भी हो तुम लड़ो जोश में
लगता है मुझको ऐसा बता वो रहे
क्या कभी तुमने देखा है झरने को भी
कैसे खुद को धरा पर गिरा हो रहे
न उन्हें कुछ जरूरत है की खुद वो गिरे।
गिर के खुद को सभी को उठा ही रहे
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तारे है अब कहाँ तुम बता दो हमे
जाओ जाकर पता तुमतो ला दो मुझे
कोई कहता है रुठे हैं हमसे वह अब सभी
वह भी प्यारे हैं अपने बता दो उन्हें-