""""सहनशक्ति""""
शर्ट का बटन अपना धैर्य खोता है,
जब दो बटनों के बीच से पेट झाँक रहा होता है।
वो बेचारा फिर भी लग तो जाता है,
पर कोट का बटन तो लगने में ही नहीं आता है।
अब कोट के कंधे तो ठीक हैं, और जगह से भी फिट नज़र आ रहा है,
लगता है शायद, पेट ही बढ़ता जा रहा है।-
"""""जीने दो हमें"""""
अभी-अभी google पर देख कर आए हैं,
कि top 10 उम्रदराज़ लोगों में सब महिलाएँ हैं।
इससे ये तो prove हो गया, कि महिलाएँ जान खाती हैं,
तभी तो हमारी उम्र घटाती और अपनी बढ़ाती हैं।
अपने ज़ुल्मों- सितम,
कुछ तो करो कम।
अरे कुछ तो रहम किया करो,
हमें भी जीने दिया करो।-
""""गुस्सा बीवी का""""
जब बीवी directly डाँट नहीं पाती है,
तो गुस्सा फिर वो बच्चों पर दिखाती है।
जो डाँट की आवाज़ बच्चों तक जा रही होती है,
Actually वो हमें सुना रही होती है।
और जो कहीं खो देती है अपना आपा,
तो कहती है,"सुधर जाओ तुम और तुम्हारे पापा।"-
"""kbps-mbps-gbps"""
वो भी क्या ज़माना था,
जब internet की speed का आना-जाना था।
Buffering हो-हो के चलती थी,
Video रो-रो के चलती थी।
1-2 mbps की speed तो बहुत अच्छी मानी जाती थी,
तब तो kbps में speed आती थी।
घर-घर में आ रही है,
अब तो 100-150 mbps तो common होती जा रही है।
इस तेज़ रफ़्तार ज़माने में,
मज़ा तो आ रहा है internet चलाने में।-
""""Ceiling Fan""""
छत पर लगा पँखा, कई बार मुझसे बात करता है,
कि बिजली के झटकों से वो भी कितना डरता है।
Electric shock खा-खा के वो भी परेशान हो जाता है,
तभी तो 'चर-चर' की आवाज़ करके अपना दुखड़ा सुनाता है।-
"""""लुका-छिपी"""""
बादलों के पीछे ना छिप जाया करो,
हे धूप, ज़रा खुल के सामने आया करो।
लगता है सूर्यदेव भी रज़ाई से निकल नहीं पा रहे हैं,
तभी तो आज-कल कम नज़र आ रहे हैं।
ऐ सर्दी,
तूने हद कर दी।
किसी और topic पर तो कविता बन ही नहीं पा रही है,
अब तो हर कविता सर्दी पर ही आ रही है।-
"""""उफ्फ, ये आलस"""""
सर्दियों में तो आलस की हद ही पार हो जाती है,
जब रज़ाई में ही पूरी दुनिया नज़र आती है।
तब आलस इतना आता है,
कि आदमी toilet जाने तक से कतराता है।
आलस का ऐसा सुरूर होता है,
कि आदमी रोक कर बैठने पर मजबूर होता है।
कहता है-"ये कमबख्त बार-बार उठाती है,
पूरे दिन की एक साथ ही क्यों नहीं आ जाती है।
इस आलस को दूर भगाएँ कैसे,
पकड़ लिया है रज़ाई ने, बाहर आएँ कैसे।"-
"""""Heater"""""
सर्दियाँ कटें कैसे,
Heater के सामने से हटें कैसे।
जले जा रहा है, हमें गर्मी पहुँचाने को,
तैयार बैठा है, बिजली का बिल बढ़ाने को।
पास ना हो, तो उसका ना होना खलता है,
अब तो हर कमरे में वो साथ चलता है।
कभी तो इतनी ज़बरदस्त गर्मी देता है,
कि अपने element को ही जला लेता है।
सर्दियों का सच्चा सहारा है ये,
अब क्या बताएँ, कितना प्यारा है ये।-
"""""खतरा"""""
बाहर कोरोना है,
घर में बीवी से दो-चार होना है।
कैसे बचें, ये बात समझ में नहीं आ रही है,
ज़िन्दगी तो बड़ी ही खतरनाक होती जा रही है।-
"""""हाय सर्दी"""""
भारी पड़ रही है,
जो ये ठंड बढ़ रही है।
एक रज़ाई भी कम पड़ने लगी है,
अब तो उस पर दूसरी भी चढ़ने लगी है।
ऐ सर्दी, थोड़ा कर रहम,
कहीं रज़ाई के नीचे दब ना जाएँ हम।-