KAVI   (The poet)
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tellpoetry000@gmail.com
Joined 12 August 2018


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9 OCT 2023 AT 20:59

इंतज़ार ही कोई अर्पण नहीं होता
स्नेह का कोई दर्पण नहीं होता
आपने इतने वचन क्यों रखे है
प्रेम में कोई समर्पण नहीं होता

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10 JUN 2023 AT 21:44

बिन‌ कहे समझो तो बेहतर है
हमारे एहसास ही तो है देखो
इज़हार ठीक है पर बिन‌ कहे
तुम समझो तो‌ बेहतर है

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31 JAN 2023 AT 20:27

तप कर भी मैं सोना बन‌ नहीं पाया
गमों की आंधी में, मैं ठहर नहीं पाया

यूं तो कहता हूं कि मैं हूं तजुर्बेदार पर
ये सच है "जिंदगी" मैं समझ नहीं पाया

किसके हिस्से में अपने आंसू करूंगा
किसी के हिस्से में जब मैं रह नहीं पाया

ये तीखापन अलग है वो स्वाद पुराना था
कोई तो बदल गया है मैं कह नहीं पाया

अपने-परायो‌ की एक चौपाटी सेज पर
........अच्छा था मैं बुरा बन नहीं पाया

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2 JUN 2022 AT 8:55

इस बेचैनी का हल नजर नहीं आता
हमें गमों का आईना तोड़ना नहीं आता

हम बेबसी के उस दौर से गुजर रहे है
जिसमें हमपर किसी को तरस नहीं आता

जिस नकली चेहरे के खिलाफ थे हम
उसी के दम पर कहते है रोना नहीं आता

ये कैसी बदनसीबी लिपटी है हमसे
हमारे नसीब का दौर नहीं आता

हम भी मौसमों की तरह बदल‌ रहे है सो
हमारे साथ किसी को जीना नहीं आता

क्या ही हम किसी के जहन‌ में उतरेंगे
हमें ही सही से इश्क करना नहीं आता

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21 MAY 2022 AT 17:37

यहीं राधा यहीं कृष्ण
यहीं मुरली का धाम
इसके दरबार में जाने से
बन जाते हैं बिगड़े काम

कन्हैया तेरे हाथों में
राधा के सारे नाम‌
कृष्ण राधा से जुड़े हुए हैं
पवित्र प्रेम के सारे धाम

राधा-सिया को‌ छोड़ कर
जग के ठहरे कृष्ण-राम
राधा के साथ जुड़े कृष्ण का नाम
इन जैसा प्रेम कलयुग में है बदनाम

कृष्ण राधा सा होना हो बदनाम
तो हो जाए, एक मेरा-तेरा नाम
यहीं राधा यहीं कृष्ण
यहीं मुरली का धाम.......

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19 MAY 2022 AT 16:22

यहीं राधा यहीं कृष्ण
यहीं मुरली का धाम.....

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16 MAY 2022 AT 19:52

हम भी तुम्हारी
जिंदगी का हिस्सा है
तुम अपनी मायूसी
हम से बांट सकती हो....

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14 MAY 2022 AT 21:09

जहा जिस्म बिक जाए वहा मुहब्बत नहीं चलती
आवारो के शहरों में कोई चिड़ियाएं नहीं उड़ती
कई हजारों रंगों से पूती इस बेगैरत दुनिया में
एक जैसी सब‌ को मुहब्बत नहीं मिलती

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12 MAY 2022 AT 19:21

उसी एक शख्स के लिए
जरूरी नहीं ता-उम्र जीए

वो आज बिछड़ रहा है तो क्या
हो‌ सकता है हम कल‌ मिले

गुमनाम है तो क्या हम तुम
कभी तो जी भर के बातें करें

ये सावन‌ अपना कमाल दिखाए
हम दोनों इसमें साथ चले

तुमसे कभी दिल‌ लगाए
इस उलझन में हम ना उलझे

हां पर ये मुमकिन लगता है
तुम्हारे लिए थोड़ी उम्र जीए

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9 MAY 2022 AT 11:58

हर ग़म का नाता हमसे मत जोड़ो
हमे हमारे हाल‌ पर छोड़ो

तुम्हें तसल्ली मिलती है तो हमारा दिल
एक बार नहीं तुम सौ बार तोड़ो

हालातों से बनी इन्हीं ‌उलझनो की
एक बार तो‌ तुम दीवार‌ तोड़ो

उसके भी अश्क मायने रखते है सो
दुनिया वालों, उसका मेरा नाम मत जोड़ो

उसको इश्क होगा तो वो खुद आएगा
फिलहाल उसको उसके हाल पर छोड़ो

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