तप कर भी मैं सोना बन नहीं पाया
गमों की आंधी में, मैं ठहर नहीं पाया
यूं तो कहता हूं कि मैं हूं तजुर्बेदार पर
ये सच है "जिंदगी" मैं समझ नहीं पाया
किसके हिस्से में अपने आंसू करूंगा
किसी के हिस्से में जब मैं रह नहीं पाया
ये तीखापन अलग है वो स्वाद पुराना था
कोई तो बदल गया है मैं कह नहीं पाया
अपने-परायो की एक चौपाटी सेज पर
........अच्छा था मैं बुरा बन नहीं पाया
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