हमारी चुप्पी बचा लेती है आबरू किसी की,
वरना हम जानकार तो सभी के किरदार के है।-
मेरी बर्बादी में हिस्सेदारी है सबकी,
बस अपनी चालाकी को गलती का नाम दे रहे हैं।-
कुछ हादसे भी जरूरी है संभलने के लिए,
याद्दाश्त का जाना भी जरूरी है कुछ भूलने के लिए,
आज के दौर से तू मिलता नहीं है सैम समझ आ रहा है,
यकीन कर तुझे मरना पड़ेगा इस दौर से निकलने के लिए।-
सबका ख्याल रखते-रखते खुद का ख्याल रखना भुल गया,
जब खुद का ख्याल आया तो ख्याल करने वाला कोई ना था।-
हर कोई बना बैठा है दुनियां अपनी-अपनी,
हैरत ये है कि हम किसी में शामिल नहीं हैं।-
मेरा आज मेरे अतीत का आईना दिखा गया,
तुझे खुद की सोचना था, सबकी क्यों सोच गया,
ये भंवर में फंसा है, ये तेरी ही गलती है,
बेकद्रों के लिए क्यों तू अपनी खुशियां बेच गया।-
Analyzing small things and improving them can result in a significant impact, but ignorance can be disastrous.
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दशरथ के राम तुम,
राम हमारे प्राण तुम।
ज्ञान का भंडार तुम,
मर्यादा का आधार तुम,
त्याग का नाम तुम,
राम हमारे प्राण तुम।
वचनों का मान तुम,
निष्ठा का आयाम तुम,
सत्य की पहचान तुम,
राम हमारे प्राण तुम।-