अब दिया लेकर निकल हीे है घर से,तो अंधेरों को छाँट देगें!
अब कृपाण उठा ली है हाथों में,अन्याय के पैरों को काट देगै!!-
जब मोती की माला बनाने वाला ही माला को तोडता है तो मोतियों का खोना स्वभाविक है...........
-
आज फिर उसकी यादों ने मुझे रूलाया है!
क्यों खुदा ने उसे गहरी नींद में सुलाया है!!
यह दर्द कोई नहीं बस मजनूँ ही जानता है,
कि उसने लैला को किस तरह भुलाया है!!
-
तू वशिष्ट का वंशज,ब्रह्मतेज का अधिकारी!
तेरे चरणों में नतमस्तक है,श्रीराम धनुर्धारी!!
तेरे इंगित पर विलप्त का ज्वार उठा करता था!
रणभूमि में अर्जुन का गाण्डिव नमन करता था!!-
जिस प्रकार समय के साथ-साथ गुलाब की पत्तियों का रंग बदलने लगता है ठीक उसी प्रकार मानव का लोगों के प्रति नजरिया बदल जाता है......
-
बहुत रोते है बैठकर आज भी उसकी मझार पर!
अब भी जिन्दगी गुजार लेगे उसके इन्तजार पर!!
दिल आज भी रोता है लेकिन कहा है उसने मुझसे,
अब पहरेदार बिठा लो अपनी आँखों के बाँध पर!!
-
अपनों को खोने का दर्द उनसे पूछों,जिस पिता ने अपनी जवान बेटी की अर्थी को कन्धा दिया है.......
-
कुछ लोग हमारी जिन्दगी में आते है और छोडकर चले जाते......
शायद छोडना उन्हे भी मंजूर नहीं लेकिन नियती के आगे विवश है.......-
कुछ चेहरे इतने मासूम होते है कि उन्हे ताउम्र नहीं भूल पाते है......
-
चाँद पर जाने के पैसे लगते लेकिन चाँद देखने के नहीं.............
-