Kavi ROHIT DADHICH   (कवि-रोहित दाधीच (लुहावद-कोटा),राज.8875322020)
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Kavi
Joined 20 March 2017


Kavi
Joined 20 March 2017
19 SEP 2017 AT 16:59

अब दिया लेकर निकल हीे है घर से,तो अंधेरों को छाँट देगें!
अब कृपाण उठा ली है हाथों में,अन्याय के पैरों को काट देगै!!

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19 SEP 2017 AT 12:24

जब मोती की माला बनाने वाला ही माला को तोडता है तो मोतियों का खोना स्वभाविक है...........

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7 SEP 2017 AT 22:51

आज फिर उसकी यादों ने मुझे रूलाया है!
क्यों खुदा ने उसे गहरी नींद में सुलाया है!!
यह दर्द कोई नहीं बस मजनूँ ही जानता है,
कि उसने लैला को किस तरह भुलाया है!!

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5 SEP 2017 AT 11:26

तू वशिष्ट का वंशज,ब्रह्मतेज का अधिकारी!
तेरे चरणों में नतमस्तक है,श्रीराम धनुर्धारी!!
तेरे इंगित पर विलप्त का ज्वार उठा करता था!
रणभूमि में अर्जुन का गाण्डिव नमन करता था!!

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25 AUG 2017 AT 10:50

जिस प्रकार समय के साथ-साथ गुलाब की पत्तियों का रंग बदलने लगता है ठीक उसी प्रकार मानव का लोगों के प्रति नजरिया बदल जाता है......

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28 JUL 2017 AT 15:14

बहुत रोते है बैठकर आज भी उसकी मझार पर!
अब भी जिन्दगी गुजार लेगे उसके इन्तजार पर!!
दिल आज भी रोता है लेकिन कहा है उसने मुझसे,
अब पहरेदार बिठा लो अपनी आँखों के बाँध पर!!

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28 JUL 2017 AT 12:17

अपनों को खोने का दर्द उनसे पूछों,जिस पिता ने अपनी जवान बेटी की अर्थी को कन्धा दिया है.......

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28 JUL 2017 AT 12:10

कुछ लोग हमारी जिन्दगी में आते है और छोडकर चले जाते......
शायद छोडना उन्हे भी मंजूर नहीं लेकिन नियती के आगे विवश है.......

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28 JUL 2017 AT 11:41

कुछ चेहरे इतने मासूम होते है कि उन्हे ताउम्र नहीं भूल पाते है......

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25 JUL 2017 AT 13:48

चाँद पर जाने के पैसे लगते लेकिन चाँद देखने के नहीं.............

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