इस ठिठुरन वाली दिसंबर
तुम पिलाना एक कप ईश्क-
A heart without 'Emotion'
कब-कब आंखें चार हुई,
कब-कब तुमसे मुलाकात हुई
कब-कब कैसे बात हुई
सब जर्नल में लिख लिया
सब खट्टे-मिठे एहसासों की
तुमसे हुई सब बातों की
जागी उनींदी सब रातों की
तलपट मैंने बनाया
बागों में फिरने से लेकर
पनघट पर मिलने से लेकर
तुमसे बिछड़ने तक का
अंतिम खाते बनाया
उन सुखद सलोनी यादों की
बसंत, मानसूनी सावन का
ट्रेडिंग खाते जब बनाया
एक तरफा प्रेम ही पाया
लाभ-हानि खाते में दर्ज
केवल तुम्हारी यादें आयी
कैसा मेरा हाल प्रिये
चिट्ठे में मैंने दिखलाया
बस इतनी मेरी प्रेम कहानी
मैंने सब कुछ बतलाया
अब विश्लेषण और निर्वचन
प्रिय तुम पर ही छोड़ दिया-
ये सर्द सुबहें और गर्म गुनगुनी चाय,
हसीं और भी हो जाती है दिसंबर तेरे आने से...-
चाहता हूं इन झील सी आंखों में डूब जाऊं
तुम बचाना मत मैं कितना भी चिल्लाऊं
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तुम आओगे तो रौशन होगा अपना भी जहां
एक अरसे से, हमने दीवाली नहीं मनाई-
चल जोही तैयार हो घुमे बर ले जाहूं
आनी बानी के तोला जिनिस देखाहूं
शनिचरी बजार मओ गुपचुप खवाहूं
चल तोला अपन हरदी गांव घुमाहूं
लिमहाई तलाव में गुड़ाखू करा हूं
दैजानार के बइहा पूरा ल देखा हूं
चिपी घाट म तोला नदियां तऊराहूं
चल तोला अपन हरदी गांव घुमाहूं
रूरू बगीचा के कच्चा आमा खवाहूं
गांव के चिंहारी चिरचिरा राख लगाहूं
नीम चौरा के ठाकुर देव ला देखा हूं
चल तोला अपन हरदी गांव घुमाहूं
सागर के महामाई सिद्ध बाबा देखाहूं
मोर अंतस म बाढ़त हे मया तोर बर
कल्लू के ठेला म चल मुंदरी बिसाहूं
चल तोला अपन हरदी गांव घुमाहूं-
राहे अपनी हो अगर,मंजिलें भी अपनी होगी,
मुसाफिर रख हौसला निश्चित विजय होगी।
भरा पड़ा इतिहास हैं महान् धुरंधरों से,
क्यूं मात खाये तू भला तुच्छ लंगूरों से।
क़दम दर क़दम उठाते चला चल,
दम बाजुओं में हो रेगिस्तां में सलिल होगी।
चुमेगी कदम तेरे सफलताएं हो नतमस्तक,
डर को भगा दूर आओ जो दे कभी ये दस्तक,
निडर अटल अविचल मनुज मन को बनाये जा,
तुमको हरा दे भला किसकी बिसात होगी।
साधक, दृढ़ निश्चयी ढीठ स्वयं को बना,
स्वावलंबन मंत्र एक, दे दिशा बदल बयार की,
जला लौ आशाओं के,निराशाएं भस्मिभूत कर,
हट जायेगा तिमिर ये कैसी भी रात होगी।-