Kavi karan Gumnam   (Kavi Karan Sharma)
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Joined 4 January 2019


Joined 4 January 2019
4 HOURS AGO

मुरझायी शाख पर फूल नहीं खिलते
उदास लोगों से अब हम नहीं मिलते
ये इश्क़ का बाजार है जरा समझो
यहाँ एक बार जो बिछड़े वो नहीं मिलते

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30 JUN AT 7:27

आप चाहें तो बदल सकती है किस्मत इश्क़ की
आप के चाहने से ही दुनिया मेरी गुलज़ार है

अब कि जब मैं बिक गया हूं बेमन सा बेमौल ही
आप अब ये कह रहे हैं तुमको हमसे प्यार है

याद करता रह गया दिल और आँख पत्थर हो गई
लगता है मरने वाले को किसका इंतजार है

जीत सकते थे मगर, हमें हारना अच्छा लगा
अपनों से हो जंग तो ये आखिरी हथियार है



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31 MAR AT 6:46

दिल इश्क़ के झांसे में आ गया वर्ना
मुकद्दर में तो लिखा हुकुमत करना

हमसे दरबार में जी हुज़ूरी नहीं होती
हमारे खून में शामिल है बगावत करना

किसी की पीठ में खंजर ना मार देना तुम
अगर करना तो खुले में अदावत करना

तुम नये हो, शायद तुम्हें मालूम नहीं
इश्क़ के खिलाफ है इश्क़ की शिकायत करना

मैं उल्फत के वादे से जब मुकरना चाहूँ
ऐ- दिल तू मेरी खूब खिलाफत करना

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28 MAR AT 19:55

हाथ मिलते थे, हाथ मिलते हैं
पुरानी शाख पर नये फूल खिलते हैं
मैं तुमको दिल की हकीकत बताता हूँ
हम ख्वाब में भी तेरे पास ही फिसलते हैं

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28 MAR AT 19:02

उसे देखे हुए तो उम्र गुजर गई मगर, अब भी
दिल में हौसला नहीं है उससे दूर होने का

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19 MAR AT 20:39

उसकी याद के मौसम जब भी आवाज़ देते हैं
दर्द महक उठता है और दिल शोर करता है
जिस फूल को हमने बचाया सबकी नजरों से
उस फूल की हिफाजत अब कोई और करता है

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10 FEB AT 6:59

जिसके साथ उम्रभर जीने की तमन्ना थी
वो शख्स मेरी हाथों की लकीरों में ना था
मसाइल के वक़्त जिसने मेरा हाथ थामा था
वो शख्स मेरे साथ 'करन' तस्वीरों में ना था

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9 FEB AT 8:05

मोहब्बत जिस्म के जालों में फस के रह गई
अब सीरत का नहीं दोस्त सूरत का दौर है
पहले काटी जाती थीं हिज्र में उम्रें
मुहब्बत देख अब नश काटने वालों का दौर है

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2 FEB AT 6:48


जिंदगी ने थाम लिया है बेबसी का दामन
हम खुदा की मर्जी मानकर किसी और के हुए

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23 JAN AT 8:59

मेरे दिल से ये कैसी अजब आवाज़ आई है
लगता है दिल को फिर किसी की याद आई है

ज़माना इश्क़ करने को भटक जाना समझता है
तुम महबूब ब्याह लाये तुमको बधाई है

गुनाह एक था तो फिर सजा कैसे जुदा कर दी
किसी के घर में मातम है, किसी के घर शहनाई है

सबकुछ हार के बैठा है यहाँ पर जीतने वाला
इश्क़ से होती हुई ये ही मुक़द्दर की लड़ाई है

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