माँ
तो माँ
है माँ की
ममता औरों में कहाँ है
छोड़ देते हैं वो जो हज़ारोँ
ख्वाब भी जिनकी पहचान में
छूपी हुई एक असीम जहाँ है-
20 JUN AT 22:10
7 JUN AT 22:39
स्वयं से प्रश्न करते हो!!
तो अच्छा है,
नई एक राज़ के हैं दरमियाँ,
कुछ लोग,
शायद वो कहीँ,
छुपते नहीं,
जो आस भर के ,
प्रेम की एक नीति का,
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27 APR AT 1:18
कान्हा!! तुझ संग प्रीत बड़ी है,
तू है तो ये आस जुड़ी है,
मेरे मोहन!
मेरे माधव!
श्यामा के संग नित्य विहारी,
आ बस जाओ इन नयनन में,
दिखला दो,छवि वही दुलारी
जिसको पा पा के सब तर गए..
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