Kavi Kant   (KaviKant)
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Joined 16 March 2019


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Joined 16 March 2019
27 APR AT 1:18

कान्हा!! तुझ संग प्रीत बड़ी है,
तू है तो ये आस जुड़ी है,
मेरे मोहन!
मेरे माधव!
श्यामा के संग नित्य विहारी,
आ बस जाओ इन नयनन में,
दिखला दो,छवि वही दुलारी
जिसको पा पा के सब तर गए..

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12 FEB AT 8:55

और मैं कोई गैर नहीं
स्वयँ तुम्हारा मन हूँ

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7 FEB AT 13:20

हरपल
ज़िन्दगी में
बनी ही रहे
खुशबू प्यारी गुलाब की

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6 FEB AT 20:04

राह कठिन हो मंज़िल की तो,
मेरा मक़सद कौन कहेगा,
जीवन में जो बचे उजाले,
आज यहाँ फिर कौन सहेगा,
तेरा आना मेरा जाना ,जीवन है
तो लगा रहेगा,
संग संग जो घेरा गहरा ,
तेरा मेरा कहाँ चलेगा

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5 FEB AT 13:35

क्यूँकि उसने ज़िन्दगी,अकेले जीना सीख लिया है

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4 FEB AT 13:09

कब तक आखिर डरना होगा,
सामना सच का कारण होगा

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3 FEB AT 16:38

सोया सोया चाँद कहाँ था,
आसमान की नई खोज थी,
आज अचानक नदी बरसती
हुई उफनती मतवाली सी

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2 FEB AT 9:42

छाया बसंत,
मौसम भी
नया लाया बसन्त

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1 FEB AT 20:00

कहाँ तक चलें,
जब ये ज़िन्दगी भी
अधूरी यहीं

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1 FEB AT 19:59

MAamla...
Mantrayala se uper ho jaye

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