कान्हा!! तुझ संग प्रीत बड़ी है,
तू है तो ये आस जुड़ी है,
मेरे मोहन!
मेरे माधव!
श्यामा के संग नित्य विहारी,
आ बस जाओ इन नयनन में,
दिखला दो,छवि वही दुलारी
जिसको पा पा के सब तर गए..
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27 APR AT 1:18
6 FEB AT 20:04
राह कठिन हो मंज़िल की तो,
मेरा मक़सद कौन कहेगा,
जीवन में जो बचे उजाले,
आज यहाँ फिर कौन सहेगा,
तेरा आना मेरा जाना ,जीवन है
तो लगा रहेगा,
संग संग जो घेरा गहरा ,
तेरा मेरा कहाँ चलेगा-
3 FEB AT 16:38
सोया सोया चाँद कहाँ था,
आसमान की नई खोज थी,
आज अचानक नदी बरसती
हुई उफनती मतवाली सी-