हिंदू मुस्लिम का न ही जतन चाहिए
उड़ सके जिसमे सब वो गगन चाहिए
तीन रंगों से मिलकर तिरंगा बना
मुझको आजाद अपना वतन चाहिए-
काव्य पाठ के लिए संपर्क करें,---/ 7376261105
सभी मंदिर पे मस्जिद पे मैं माथा टेक आया हूं।
दुआ मां की हो मेरी पूरी सभी से बोल आया हूं।।
जो धागा था मां ने बांधा मेरी सलामती का।
वो धागा मां की सलामत का वहीं पर बांध आया हूं।।
-
सुबह लिखू या शाम लिखू ।
हर खत में तेरा नाम लिखू।।
तू पढ़े या फाड़े तेरी मर्जी।
हर खत में तुझको चंद लिखू ।।-
बने राधा अगर कोई तो,फिर मैं श्याम हो जाऊं ।
यशोदा माँ अगर मिल जाये तो नन्दलाल हो जाऊं ।।
सुदामा बन सके कोई तो ,माखन चोर बन जाऊं ।
बने यदि कंश कोई तो ,फिर मैं काल बन जाऊं।।-
राम जैसा पुत्र यदि मिल जाये तुमको तो ।
मुझको भी प्यारे जरा उससे मिलाइयेगा।।
सारे कष्ट सह लिए फिर भी वन को गये ।
कोई ऐसा दिख जाये मुझको दिखाइयेगा।।
और मिल नही पाये यदि तुमको ऐसा कोई।
तो चुप चाप राम जी के शरण में आइयेगा।।-
हर बात पर सवाल पूछते हो।
क्या कभी मेरा हाल पूछते हो ।।
इतने गम दिये भूल नही सकते।
फिर भी क्या है मलाल पूछते हो ।
:-कवि अमित मिश्र 'दिलेर'
........🙏❤️❤️❤️🙏-
वक्त कब तक सतायेगा मुझको ।
दर्द कितना दिलायेगा मुझको।।
सारी बातें जान गया हूं अब मैं ।
कौन कब तक चाहेगा मुझको।।-
शब्द चुनु तो चुनु में क्या जो माँ की परिभाषा कह पाये ।
धरा मैं चुन लू अम्बर चुन लू यदि माँ की परिभाषा कह पाये।।
गजल लिखू तो लिखू मैं कैसे न माँ की व्यथा को कह पाये।
गीत लिखू तो लिखू मैं कैसे न माँ की ममता को बतला पाये ।।
तो तुम्ही बताओ मैं क्या लिख दू माता के सम्मान में।
या शीश काट कर रख दू माता के स्वाभिमान में।।-