माँ सिया दूर जब तक रही राम से, माह छः न सुकूं राम जी को मिला।
कोई पूछे लखन के हृदय से जरा, वर्ष 14 गुजारे बिना उर्मिला।— % &-
ख्वाहिश एक ये नए साल से है मेरी।
जख्म कुछ पुराने भर सको तो भर दो।-
गधे को इन्होंने शिखाया है सुअर होना।
तुम आसान समझते हो मुन्नवर होना।-
स्पर्धा मे गुरु द्रोण ने मुझको सूत बताया था।
दुर्योधन ने तब आकर के मेरा मान बढ़ाया था।
जिस तरह से आपने श्री अर्जुन को पथ दिखलाया था।
उस तरह मैंने भी दुर्योधन का साथ निभाया था।
मुरलीधर गलती क्या मेरी ऐसा जो परिणाम रहा।
मानव के युद्धों में बोलो ईश्वर का क्या काम रहा।-
सूर्यदेव से मुझको पाकर, तुमने अपना भाग दिया।
लोक शर्म के कारण मुझको, सूतपुत्र का दाग दिया।
मेरे इस जीवन का बोलो, जिम्मेदार था कौन रहा।
माँ तेरे वचनों की खातिर, मैं बस रण में मौन रहा।-
खुशी नही तो मलाल से पूछ लो।
नींद या फिर ख्याल से पूछ लो।
365 दिन गुजारे है मैंने दुख मे।
न हो यकीं, बीते साल से पूछ लो।-
वो चाह जाए जो होना हो जाये।
मुस्कुरा दे तो जादू टोना हो जाये।
खूबसूरत, मासूम सी एक लड़की।
पीतल पहने तो सोना हो जाये।-