Kaushiky Pandey  
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Improving.
Joined 29 March 2019


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Joined 29 March 2019
1 NOV 2022 AT 17:40

स्त्री

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16 OCT 2022 AT 13:50

पूछा मैंने कई बार उससे,
इतना प्रेम क्यु हमसे,
हँस कर टाल दिया उसने,
बोलकर ये की
क्या वजह बताऊ तुम्हे,
अब बस है प्रेम तुमसे।

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15 OCT 2022 AT 10:14

कुछ वक़्त गुज़ारे उनके साथ उस शाम मैंने,
वही छुपाये थे उनके पैग़ाम मैंने,
पूछ लिया किसी ने मुझसे इतना क्यों इतराती हो,
हँस कर ले लिया उनका नाम मैंने।

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15 OCT 2022 AT 10:04

सौंदर्य से भरी तुम्हारी आँखें,
जब मुझे उस स्पष्टता और चमक से देखा करती है,
तब मुझे उस प्रेम का एहसास होता है,
जो तुम्हे और मुझे जोड़े है।

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4 OCT 2022 AT 7:57

में जानती हूँ ये सच नहीं

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2 OCT 2022 AT 18:45

एक फूल तुम्हारे नाम है

सुगंध इस फूल की,
तुम तुम्हारी यादें,
सबकी याद दिलाती है,
क्यु मौन हो तुम,
अच्छा तुम्हारे मौन को भी समझती हूँ मैं,
नाराज़ हो जानती हूँ,
इस फूल से गलती अपनी स्विकारति हूँ।

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19 SEP 2022 AT 19:45

प्रेम कहानी

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20 AUG 2022 AT 20:11

मेरे प्रेम गीत का सार हो तुम,
न चाहते हुए भी मेरी कमज़ोरी के साथ साथ
जिसके आगे झुक जाने का दिल करे ऐसी हार हो तुम ।

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20 AUG 2022 AT 20:07

कुछ ऐसी धुन जिसमें खोने का दिल करे
ऐसी धुन हो तुम।

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23 JUL 2022 AT 22:08

Harking back to our special moments and cute conversations

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