इज़हारे इश्क़ में।
बेताबियों बढ़ती हैं,
मुलाक़ाते इश्क़ में।-
जीवन एक संग्राम है,
है साथ होना है जरूरी ।
बन सके जो कवच जैसा,
वो दोस्त होना है जरूरी ।-
ये भला कहूं कैसे।
मेरा दिल कहता है,
कह दूं दिल की बात।
मगर जुबां तक आते ही,
थम जाती है रात ।
सुबह जगता हूं ,
लिए सपने हजार।
कदम बढ़ते हैं मेरे,
प्रिय से मिलने को।
पास जाता हूं उसके,
दिल की बात कहने को ।
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There may be a million ways to reach one's destination, but a person goes only where his destiny takes him.
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सत्य धर्म की राह पे चलकर,
नेकी का है पाठ पढ़ाया ।
जो चहूं व्याप्त हैं राम मेरे,
जीवन में हो उनकी छाया ।
कण कण में व्याप्त प्रभु,
जो मनोबल के स्वरूप हैं।
कठिन समय में हार न मानी,
जो असंख्य आदिपुरुष हैं।
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भारत रत्न, बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन :
अन्याय से युद्ध को,
धर्म रूप श्रृष्टि को।
बदल चलो समाज को,
देकर स्वरूप आज को ।
हो साथ जब रहीम का,
बदलाव में साथी हूं ।
न हो यदि मैदान में,
मैं अकेला काफ़ी हूं l
- कौशिक मुनि त्रिपाठी
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Illuminate light
To dispel out the darkness
Enjoy the season.
Destroy the evil
With powerful Sword of truth
Which lies within you.
Make the entire world
Free from the iniquitous
Live delightedly.
Make the prosperous
Entire moment of your life
Happy Diwali.
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दीप जले, चहुँ ओर जले,
जगमग - जगमग जग न्यारा।
दूर रहे अंधियारा जग से,
सुख समृद्धि हो पल सारा।
दीपों की है ये दीवाली,
तमस को दूर भगाए जो।
हर जेहन में खुशियां भर दे,
हर चेहरा मुस्काए जो ।
Happy and prosperous Diwali to all .
- Kaushik Muni Tripathi
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दीप जले, चहुँ ओर जले,
जगमग - जगमग जग न्यारा।
दूर रहे अंधियारा जग से,
सुख समृद्धि हो पल सारा।
दीपों की है ये दीवाली,
तमस को दूर भगाए जो।
हर जेहन में खुशियां भर दे,
हर चेहरा मुस्काए जो ।
Happy and prosperous Diwali to all .
- Kaushik Muni Tripathi
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आदर्शों से भरा हो जीवन,
सत्य धर्म हो जेहन में।
हो ऐसा पथ जिसमें मैं चल दूं,
हो गुरु की महिमा जीवन में।
मेरे गुरु हैं मेरे ईश्वर,
जिनकी छाया में गुजरा पल ।
सही गलत का पाठ पढ़ाया ,
धर्म की रथ में बैठ जो पाया।
ईश्वर रूपी गुरु की महिमा,
है विशाल ब्रम्हांड में छाया।
जतन करूं मैं ईश्वर की,
जिनके साये में सब पाया।
है प्रणाम सब गुरुओं को,
जो मेरे आराध्य बने ।
जिनके आशीषों को पाकर,
कर्तव्यनिष्ठ संज्ञान बने।
- कौशिक मुनि त्रिपाठी-