Kaushik Kumar   (Kaushik)
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Joined 30 April 2020


Joined 30 April 2020
4 APR 2023 AT 20:26

निगाहें तो तुम्हारी मेरी तरफ ही थी मगर
खोई हुई तुम किसी और की ख्यालों में थी,
बेशक सामने खड़ी थी तुम मगर नज़र आ
रही शराब के प्यालों में थी।

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14 FEB 2023 AT 21:18

अपने बिखरे शाम को तुम्हारी जुल्फों में समेटना
चाहता हूं,
मैं फिर से तुम्हारी गली से इक दफा गुजरना चाहता
हूं,,
तुम दरवाजे पे खड़ी इंतज़ार करना क्यूंकी,
मैं फिर से तुम्हारी आंखों में इक दफा उतरना चाहता हूं

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7 FEB 2023 AT 0:03

ना इश्क़ मुकम्मल किया तुमने
ना नफ़रत सलीके से निभाई गई,
नजदीकियां भी खटकती रही तुम्हें,
फासले भी ना तुमसे लाई गई।।

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2 FEB 2023 AT 14:07

ना गिराओ इस कदर जुल्फें गालों पर हम
तो बहक जाएंगे,
ना देखो इन तिरछी नजरों से हम तो मचल
जाएंगे,
ये बिंदी कान की बाली और इस सादगी पर
फिसल जाएंगे,
तेरे गुलाब से इन होंठों को भंवरे बन चूम उड़
जाएंगे।।

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20 JAN 2023 AT 12:41

वैसे तो बहोत से लोग मिलेंगे तुम्हें
सफ़र में,
मगर शुरुआत से मंजिल तक जो
साथ निभाए
हमसफ़र उसे कहते हैं।।

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17 JAN 2023 AT 21:16

कितना ढुंढा उसे उसके शहर में,
आखिर में मिली वो अपने
शौहर के साथ मेरे ही शहर में।।

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15 JAN 2023 AT 23:03

वो वापस ज़रूर आएगी अधूरे सफ़र
को मुकम्मल करने,
तुम बस दौलत का इंतजाम
रखना।।

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20 DEC 2022 AT 10:58

जिन दोस्तों को तेरी वफ़ा के किस्से
सुनाया करते थे कभी,
आज शर्मिंदगी से उनके सामने एक
लब्ज़ भी बोलना चुभ जाता है।।

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29 NOV 2022 AT 10:27

वो गलियां तेरी मैं छोड़ आया
ख़त भी जला के आया हूं,
छोड़ तेरे शहर की बेरूखी
मैं अपने शहर को आया हूं।।

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14 NOV 2022 AT 23:26

तुम्हारा गुलाब और मेरा अहसास,
तस्वीरों में मैं और तुम्हारा इंतज़ार।।
A short story by me👇

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