निगाहें तो तुम्हारी मेरी तरफ ही थी मगर
खोई हुई तुम किसी और की ख्यालों में थी,
बेशक सामने खड़ी थी तुम मगर नज़र आ
रही शराब के प्यालों में थी।-
अपने बिखरे शाम को तुम्हारी जुल्फों में समेटना
चाहता हूं,
मैं फिर से तुम्हारी गली से इक दफा गुजरना चाहता
हूं,,
तुम दरवाजे पे खड़ी इंतज़ार करना क्यूंकी,
मैं फिर से तुम्हारी आंखों में इक दफा उतरना चाहता हूं-
ना इश्क़ मुकम्मल किया तुमने
ना नफ़रत सलीके से निभाई गई,
नजदीकियां भी खटकती रही तुम्हें,
फासले भी ना तुमसे लाई गई।।-
ना गिराओ इस कदर जुल्फें गालों पर हम
तो बहक जाएंगे,
ना देखो इन तिरछी नजरों से हम तो मचल
जाएंगे,
ये बिंदी कान की बाली और इस सादगी पर
फिसल जाएंगे,
तेरे गुलाब से इन होंठों को भंवरे बन चूम उड़
जाएंगे।।-
वैसे तो बहोत से लोग मिलेंगे तुम्हें
सफ़र में,
मगर शुरुआत से मंजिल तक जो
साथ निभाए
हमसफ़र उसे कहते हैं।।-
कितना ढुंढा उसे उसके शहर में,
आखिर में मिली वो अपने
शौहर के साथ मेरे ही शहर में।।-
वो वापस ज़रूर आएगी अधूरे सफ़र
को मुकम्मल करने,
तुम बस दौलत का इंतजाम
रखना।।-
जिन दोस्तों को तेरी वफ़ा के किस्से
सुनाया करते थे कभी,
आज शर्मिंदगी से उनके सामने एक
लब्ज़ भी बोलना चुभ जाता है।।-
वो गलियां तेरी मैं छोड़ आया
ख़त भी जला के आया हूं,
छोड़ तेरे शहर की बेरूखी
मैं अपने शहर को आया हूं।।-
तुम्हारा गुलाब और मेरा अहसास,
तस्वीरों में मैं और तुम्हारा इंतज़ार।।
A short story by me👇-