मंदिर तो वही बन गया है, राम लला भी विराजे है,
आप दिल का मंदिर कब खोलोगे, राम की मुरत कब विराजोगे।। राम
मेरे श्री राम के नाम का जाप कर रहा है ये जग सारा, पुरुषोत्तम कहलाए वो जो रहे वन में और वचन निभाए सूर्यवंशीयो का।। राम
राम राम केहके, ना किसीं को जलना है, काम, क्रोध, छल, कपट, अहंकार के भीड़ में खुद को ही तो धुंडना है।। राम
त्याग, मर्यादा की मुरत है श्री राम, केहता ये जग सारा है, खुद से पूछो एक बार जरा इन शब्दों का क्या मतलब होता है।। राम
भगवान तो है पर 14 साल वन का वास था स्वीकारा, सीता मैया की खोज में पूरा भारत सींच डाला, रावण से जितें युद्ध मे पर ज्ञान के खातीर लक्ष्मण को शिष्य बनाया, कठिनाइयों में भी शीतल रहना श्री राम का गुण है प्यारा।। राम
पग पग पे खुद को तराशना होगा, राम विराज गए हैं, पर खुद में भी तो श्री राम को ढूंढना होगा, यू ही नही रामराज्य आएगा खुद की परछाई से भी तो लढना होगा, तब जाकर श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी दिल में और सरयुसा मन पावन होगा।। राम
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