Kaushik Kanakdande   (© कौशिक कनकदंडे)
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Started Life From 1991 to ....
Joined 11 June 2019


Started Life From 1991 to ....
Joined 11 June 2019
7 APR AT 14:33

शर्मसार, कुछ गम हमारे, जो पर्दे में बसा करते थे,
मुस्कुराहटों के पीछे आसानी से गुमनाम रहा करते थे,
न जाने उनकी बगावते कब और कैसे इतनी बढ़ गई, की आंखों के कनखियों से वो बाहर झांके जा रहे है..

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28 MAR AT 13:49

मेरी परछाई भी तो मेरी मोहताज नहीं है सहाब,
वो भी किसी और की मेहरबानीयो का नतीजा है..

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10 MAR AT 23:17

लोगों ने हमारी गलतियां गिनवाकर हमसे हमारी गलतियां ही छीन ली,
अब बैठे है बिन गलतीयो के, जैसे हमसे इंसान होने का अहसास ही छिन गया हो..

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1 MAR AT 17:53

कोरे पन्नो पर हमने अपने अल्फाज लिखने चाहे,
वही पन्नों पर हमने अपने जज्बात लिखने चाहे,
कुछ सिसकियां पन्नों से हमने भी सुनी,
शायद वो जज्बात अल्फाज बनकर बह गए..

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27 FEB AT 19:20

कुशीत माझ्या तू इवलुसा जीव समावतो,
अनवाणी पाऊल तुझे हवेतच तू झुलवतो,
किती भाव तुझे आमच्या मनी साठवावें,
प्रत्येकदा नकळतच ते हवे तितके लुटावे..

काय नाते असेल आपले मागल्या जन्मी,
आपले ते नाते उलगडू हळूवार या जन्मी,
पण हाक तुला मारावी कशी? आवाज तुला द्यावा कसा?
ज्याने तू उत्तरीत होशील "हो आई, आलो !!"

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14 FEB AT 19:36

जिंदगी की किसी मोड़ पर सच, सच से रूबरू हुआ,
पहचान ना सका कोनसा सच तेरा, और कोनसा मेरा था,
हर सच की अपनी एक कहानी थी कुछ हमने बनाई और कुछ लोगोने सुनाई थी..

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25 JAN AT 10:48

साल, हर साल जाने कैसे गुजर जाता है,
हम जूझते जिने के लिये पर रेत ढहती जाती है,
वक्त के मुसाफिर फिर नहीं मिलते लौटकर कभी,
सारी जिंदगी खर्च होने से पहले कुछ लम्हे तो जिलों अभी।

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22 JAN AT 10:06

मंदिर तो वही बन गया है, राम लला भी विराजे है,
आप दिल का मंदिर कब खोलोगे, राम की मुरत कब विराजोगे।। राम
मेरे श्री राम के नाम का जाप कर रहा है ये जग सारा, पुरुषोत्तम कहलाए वो जो रहे वन में और वचन निभाए सूर्यवंशीयो का।। राम

राम राम केहके, ना किसीं को जलना है, काम, क्रोध, छल, कपट, अहंकार के भीड़ में खुद को ही तो धुंडना है।। राम
त्याग, मर्यादा की मुरत है श्री राम, केहता ये जग सारा है, खुद से पूछो एक बार जरा इन शब्दों का क्या मतलब होता है।। राम

भगवान तो है पर 14 साल वन का वास था स्वीकारा, सीता मैया की खोज में पूरा भारत सींच डाला, रावण से जितें युद्ध मे पर ज्ञान के खातीर लक्ष्मण को शिष्य बनाया, कठिनाइयों में भी शीतल रहना श्री राम का गुण है प्यारा।। राम

पग पग पे खुद को तराशना होगा, राम विराज गए हैं, पर खुद में भी तो श्री राम को ढूंढना होगा, यू ही नही रामराज्य आएगा खुद की परछाई से भी तो लढना होगा, तब जाकर श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी दिल में और सरयुसा मन पावन होगा।। राम

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3 JAN AT 21:45

हूर हूर या मनाचीरे कशी मी सावरावी,
वादळ या मनातले कसेरे मी आवरावे,
दूड-दुडती या पावलांचे स्पर्श कसे मी कडेत घ्यावे,
इवलेशे ते डोळे कसे मी माझ्या डोळ्यात साठवावे..

वाट तुझी पाहता सारे-सारे महिने लोटले,
तू येणार याच आनंदाने मनाचे घर भरून गेले,
तू ती का तो हा प्रश्न तुला विचारायचा प्रत्येकदा,
उत्तरार्थी आम्हाला फक्त शुकशुकाटच मिळायचा..

पाहता पाहता दिवस तो आजचा उजाडला,
संपली आतुरता जी होती आमच्या शिगेला,
किती तरी नाती तू येताच नव्याने विणले गेलेत,
तुझ्या आईच आई पण आणि माझ बाप होण्याचा क्षण तू रडताच सार्थ झाले..

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1 DEC 2023 AT 20:19

रात की परछाई

लिपट कर चांद तारों से मुझे रात की परछाई मिली,
गुफ्तगू हमारी ये अंधेरो के अल्फाज़ो से ही चली,
दास्ताने कुछ अनकहिसी उसने मेरे साथ है बाटी,
अंधेरो के गेहराहियोसे कुछ कत्रे झहलकसी गई,
कुछ सच कुछ झुट के परे इंसानियात मुझे से मिली,
सुरज की पहिली किरन मे ही वो परछाइ कही खोसी गई..

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