kaushik gupta   (kaushik gupta)
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Joined 5 June 2019


Joined 5 June 2019
1 DEC 2023 AT 3:50

When you feel low,
And you want to go slow,
But time is running out,
And you have to save yourself from a knockout.
Then a friction feeling from inside,
Which will break you in the space-time.
No place makes you feel calm,
And there is no time to set your alarm.
No medicine can heal you,
Nobody can feel you,
Only the eternal god of time,
Shiva, can heal you.

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5 SEP 2023 AT 11:22

विद्यालय को घर सा बनाया आपने।
घर से दूर बच्चों को,
माता-पिता सा साथ दिया आपने।
हमारे जीवन के रास्तों को,
आसान किया आपने।
जीवन की हर मुसीबतों का,
डटकर सामना करना सिखाया आपने।
लताओं से नाजुक हम पौधो को,
स्तंभ सा सहारा देकर बड़ा बनाया आपने।
काटों से भरे रास्तों को,
फूलों सा कोमल बनाया आपने।
हमारे अज्ञान मय जीवन को,
ज्ञान की ज्योति से भरा आपने।

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6 MAR 2023 AT 0:06

ये दिल टूटा क्यों है,
गम मिलता क्यों है।
साथ छुटा क्यों है,
जमाना ऐसा क्यों है।

यादे रुलाती क्यों है,
रात भर जगती क्यों है।
आसमान खाली क्यों है,
पूर्णिमा का चाँद अकेला क्यों है।

तारे टूटे क्यों है,
सपने अधूरे क्यों है।
सब लड़ते क्यों है,
किसी न किसी से डरते क्यों है।

ये दिल उलझे क्यों है,
सवाल बिखरे क्यों है।
ये दिल टूटा क्यों है,
गम मिलता क्यों है।

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5 MAR 2023 AT 23:40

बातों बातों में तुम्हारी बात आ ही जाती है,
तुम कही भी हो यादों में आ ही जाती हो।

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14 DEC 2022 AT 19:55

देखा फूल जब गुलाब का,
याद आया आपका।
आसमा है आज साफ सा,
जैसे मन हो तेरा निष्पाप सा।
आँखे तेरी मोती सी,
दिल तो मेरा साफ था,
फिर बस गई मेरे दिल मे तुम,
जैसे तेरा मेरा हो कोई वास्ता,
क्या शुरू करे हमारी ये दास्ता?
चलो न मेरे संग कोई रास्ता।

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22 MAY 2022 AT 10:18

Don't consider failures as ending consider them as intermission.

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4 MAY 2022 AT 21:45

होगें कुछ पल ऐसे जिसमे अकेले होगें तुम,
होगें कुछ पल ऐसे जिसमे कमजोर होगें तुम।
होगें कुछ पल ऐसे भी जिसमे कोई न होगा साथ,
होगें कुछ पल ऐसे भी जिसमे बिगड़ी होगी सारी बात।

उस पल लगेगा बस अब छोड़ दू सब कुछ,
उस पल लगेगा क्या फायदा इन तकलीफो का|
हाथ में कुछ बचा न होगा,
सारी उम्मीदे भी टूट चुकी होगी।

हाँ होगा वो पल बहुत कठिन ,
पर तुम न होना आशाहीन।
इस पल की वजह से सब छोड़ न देना,
अपने सपनों की मंजिल इस पल के लिए छोड़ न देना।

बस थोड़ा सा ठहर जाना इस पल में,
ये पल भी गुज़र जाएगा।
बस थोड़ी और हिम्मत बनाए रखना,
बस इस पल को अपने सपनो का निर्णय न लेने देना।

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28 APR 2022 AT 23:29

खिड़की

कुछ के लिए तो आम सी होती है ये खिड़की,
पर किसी के शाम की शुरुवात होती है खिड़की।
रंगिन दुनिया की छोटी सी एक झलक होती है खिड़की,
बारिश के नज़रो को घर बैठे देखने का मौका देती है खिड़की।

गर्मियों में हवा के झोको का अहसास दिलाती है,
ठंड में धूप की किरणें इससे ही तो अंदर आती है।
चंद तारों से हमारी दोस्ती कराती है,
अंदर और बाहर की दुनिया का संबंध कराती है।

हर खिड़की की अपनी एक पहचान होती है,
हर एक कि अपनी ही कुछ बात होती है।
हर कमरे की आँखे होती है खिड़की,
ऊपर हो या नीचे हमेशा ही ख़ास होती है खिड़की।

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4 APR 2022 AT 1:14

सुनहरी सी एक चिड़ियाँ थी,
नाम उसका गौरैया था।
एक दिन उसे एक पेड़ मिला,
उसकी डाल पर उसे अपना ही घर दिखा।
अपने सपनो का घर,
तिनका तिनका कर उसने घर को जोड़ा,
जोड़ते जोड़ते उसका घर पूरा हुआ।
सिर्फ घर न था वो,
पूरी दुनिया थी वो उसकी,
अपनी पूरी पूंजी वही थी उसकी।
पर एक दिन किसी अनजान वजह से,
उसको वो घर छोड़ना था,
दुख तो बहुत हो रहा था उसको,
पर वो भी क्या करती उसे भी अपना काम पूरा करना था।
छोड़ना चाहती तो नही थी वो,
पर छोड़ना जरूरी था।
पेड़ को भी लगाव हो गया था उससे,
वो भी मना कर रहा था उसे जाने से,
और पत्ते भी माना कर रहे थे जाने से,
पर सबको पता था कि जाना जरूरी था।

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23 JAN 2022 AT 1:48

How much time you left tells you more than how much you spend.

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