प्रेम का मूल है - अपनापन ।
जिसमें हमारी प्रियता होगी,
उसकी याद अपने - आप आयेगी।
अपनी स्त्री , बेटा , बेटी इसलिये याद आते है कि उनमें हमारी प्रियता है, उनको हमने अपना माना है ।
यदि भगवान में प्रेम चाहते हो तो उनको अपना मान लो , फिर उनकी याद स्वतः आयेगी, करनी नहीं पडे़गी । आप जिसको पसन्द करोगे, उसमें मन स्वतः लगेगा ।
भगवान मेरे है - इसमें जो शक्ति है ,
वह त्याग - तपस्या में नहीं है ।
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Kaushik Chaitanya
(Kaushik Chaitanya)
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5.10 1986
Joined 9 May 2017
12 FEB 2022 AT 23:28
12 FEB 2022 AT 23:27
प्रेम का मूल है - अपनापन ।
जिसमें हमारी प्रियता होगी,
उसकी याद अपने - आप आयेगी।
अपनी स्त्री , बेटा , बेटी इसलिये याद आते है कि उनमें हमारी प्रियता है, उनको हमने अपना माना है ।
यदि भगवान में प्रेम चाहते हो तो उनको अपना मान लो , फिर उनकी याद स्वतः आयेगी, करनी नहीं पडे़गी । आप जिसको पसन्द करोगे, उसमें मन स्वतः लगेगा ।
भगवान मेरे है - इसमें जो शक्ति है ,
वह त्याग - तपस्या में नहीं है ।
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17 JAN 2022 AT 19:56
मेरी नीम सी ज़िन्दगी शहद कर दे
"कोई मुझे इतना चाहे की हद कर दे-
31 DEC 2021 AT 21:37
ले जाना ऐ दिसंबर ......
उदासियां हमारी सारी
अगली जो सुबह हो ......
तो सिर्फ मुस्कुराहटें हों.!!!-
25 DEC 2021 AT 12:44
दीवार बनकर खड़े होंगे तो
तोड़े जाएंगे।
द्वार बनें आगे का रास्ता खोलें।-
13 NOV 2021 AT 19:04
गुज़रो जो बाग़ से
तो दुआ माँगते चलो ,
जिसमें खिले हों फूल
वो डाली हरी रहे .....!
🌹🌾🌳🌲🌴🌿☘️🍀💐🌻🌼-