_____रहें ना दिलों में दूरियाँ____
नज़र भर के देखिए नज़रों का इंतज़ार
थोड़ा ही सही आ जाए दिल को करार
दूरियाँ भी मलामत हैं,परेशाँ न कीजिए
दिल-ए-बेकरार को थोड़ा सुकूँ दीजिए।
खियाबाँ के मुस्कुराने का सबब है बहार
नज़र भर के देखिए नज़रों का इंतज़ार।
काँटों को यूँ हटाने का गुनाह ना कीजिए
गुलों से ज़रा पहले इज़ाज़त तो लीजिए
चमन सहला रहा इन्हें साथ में बार-बार
नज़र भर के देखिए नज़रों का इंतज़ार।
महफ़िल में आने वाले जाया भी करते हैं
कुछ चले जाएँ तो कुछ आया भी करते हैं
रहें ना दूरियाँ दिलों में ए दिल-ए-ताबदार
नज़र भर के देखिए नज़रों का इंतज़ार।।
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