Katyayani Mani Pathak   (Katyayani mani)
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Joined 11 January 2025


Joined 11 January 2025
6 OCT AT 12:49

बेवजह ही कभी मुस्कुराया करो
गुलाब खुद चुन के जुल्फें सजाया करो
निगाहों की नमी सबको दिखती नहीं
हर किसी को यु नमी ना दिखाया करो

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6 OCT AT 12:16

आवाज़ कि रोशनी जो बुझ गई तो जली नहीं
थी मगर उम्मीद,-ए-लौ  जो कभी  बुझीं नहीं
जलते चिरागों के तले ही घोर तम  घिरे मीले
सारे जहां में रौशनी बिखेरते रहे हैं दिये


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26 SEP AT 19:20

कभी पढ़ा क्या तुमने ये आंखें इन आंखों में लिखा बहुत है

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26 SEP AT 8:00

आवाज़ कि रोशनी जो बुझ गई तो जली नहीं
थी मगर उम्मीद,-ए-लौ  जो कभी  बुझीं नहीं
जलते चिरागों के तले ही घोर तम घिरे मीले
सारे जहां में रौशनी बिखेरते रहे हैं दिये


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18 SEP AT 18:44

रंग  रूप से नहीं मन को मन से तौलिए
औरों से नहीं मगर खुद से सच तो बोलिए


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14 SEP AT 8:18

आंखें ये मेंरी सजल किस लिए है
लबों पे थिरकती ग़ज़ल किस लिए है
गमों में है बहती खुशी से छलकती
भला क्या कहें ये तरल किस लिए है

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12 SEP AT 12:38

इन मुकम्मल बोलती आंखों से गीला कैसा
शिकायत  उस बोलती जुबां से कीजिए
  जो सब बयां करके भी बहुत कुछ छुपा लेती है

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12 FEB AT 11:45

यु ही अपने शब्दों को जाया मत करो
स्वाति के बूंद कि ही भीति अगर इन्हें
उचित सीप ना मिले तो ये भी निर्थक हो जाते

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2 FEB AT 12:26

तेरे साथ चल तो देंगे हम तुम्हें रखना बस ये ख्याल है,
राह के इस छोर से उस छोर तक तुम्हें रखना थामें हाथ है

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