Kasim Ansari   (हमसर)
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Joined 12 November 2018


Joined 12 November 2018
15 AUG 2022 AT 10:56

ये ज़मीं फ़क़्त तेरी नहीं मेरी भी ज़ान हे
में जानता हु तूने यहाँ इबाद्त करी हे बुतों की
मेने भी नमाज़ हे पड़ी यही पर पड़ी क़ुरान हे,
में मर भी गया तो यही दफ़न करना लोगों
मेरे भी हर ज़रे मे बसा फ़क़्त “हिंदुस्तान” हे।

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2 AUG 2020 AT 20:29

इस दोर-ए-दुनिया का ख़ेल भी बहोत निराला हे
यहाँ ऊँचा होने के लिए किसीको गिराना पड़ता हे।

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29 JUL 2020 AT 20:45

जला रहे हो घर मेरा बड़े शोख़्से “क़ासिम“
जरा याद रखना छत आप की भी भूसे की हे।

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21 JUL 2020 AT 18:51

~ नहि ग़ैर कोई ~

आओ क़रीब आओ
क़रीब आ कर बेठों
के हे आज हम तुम
नहि ग़ैर कोई,

आना तुम फ़ुरसत से ना जाने के इरादे से
के गुज़रेगी सब एसे
जो ना गुजरी अभी तक भी कोई,

आना ना आना ये तेरा फ़ैसला हे
नहि ज़ोर तुज़पे किसिका भी कोई,

अगर आये हो तो
ज़रा क़रीब आकर बेठों
के हे आज हम तुम नहि ग़ैर कोई।

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7 JUL 2020 AT 19:19

सज़्दा करना उसको
जिसकी क़ुदरत मे हो ख़ुदाई
वरना हर दर पे सर झुका देना
इबाद्त नहि हुआ करता।

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24 JUN 2020 AT 22:03

~ लिए हुए हु ~

लगता हे कोई बोज़ लिए हुए हु
आज ही नहि ये रोज़ लिए हुए हु,

किसिकी तलाश हे
लेके तस्वीर हथों मे
आँखो मे किसिकी खोज़ लिए हुए हु,

लगता हे हर दम हे संग कोई
देखा जो मूड के पीछे
तो खुद के साये की भीड़ लिए हु,

तकलीफ़ तो ज़िन्दगी मे क़ायम रहेगी “क़ासिम”
फिर भी दिल मे ख़ुशी की मोज लिए हु।

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8 JUN 2020 AT 20:07

थी अमानत उस ख़ुदा की ये ज़िन्दगी
सो उसने ली
तो भला बताओ ज़ुल्म क्या किया।

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4 JUN 2020 AT 20:42

बड़ा ही ज़ुल्मी हे ये इंसा
जाहिरी तो हे नरमी
दिल मे हेवानियत लिए बेठा हे।

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28 MAY 2020 AT 20:02

लेके उस पार ना जायेगी कोई कश्ती
ये भिड़ के साथ ही इस दल दल मे उतरना होगा।

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21 MAY 2020 AT 19:48

बिकता नहि सच यहाँ, सच तो नक़ाब हे
पी गए सारा अम्रित,
बस बचा तो पी ने को तेज़ाब हे।

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