दिनकर की कविता हूँ, रेणु का सार हूँ
नालंदा का ज्ञान हूँ, पर्वत मन्धार हूँ
अजी हाँ, मैं बिहार हूँ...!!
वाल्मिकी की रामायण हूँ,
मिथिला का संस्कार हूँ
पाणिनी का व्याकरण हूँ ,
ज्ञान का भण्डार हूँ
अजी हाँ, मैं बिहार हूँ...!!
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इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं,
उतने सहने की ताकत है
तानों के भी शोर में रहकर
सच कहने की आदत है ।।
मैं सागर से भी गहरा हूँ…
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे...??
चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं…
तुम मुझको कब तक रोकोगे…
तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।-
शिकागो तुम्हें खुद बुलायेगा
पहले तुम नरेन्द्र नाथ दत्त से
विवेकानंद होने तक कि यात्रा तो तय करो..-
अक्टूबर तो इसी इंतजार में
गुजर जाता है कि...
अगला बंदा स्वेटर पहनेगा
तो हम भी पहनेंगे.. 😂-
“हमारी छत पे जो आया तुम्हारे रूप जैसा है,
तुम्हारे शहर में जो चाँद निकला है,
वो कैसा है ?”-
खुद से ही जीतने की जिद है
खुद को ही बेहतर से बेहतरीन बनाना है
मै भिड़ नहीं हूँ दुनिया की
मेरे अंदर खुद एक जमाना है-
Anthem on the podium and
Hearing Jan gan man
with flag goes to up
the eyes were longing to see
this moment....🇮🇳🇮🇳-
क्या माँगू मै तुमसे भोले
तुमने सबको बख्सा है
मेरे हिस्से का उसको देना
दाने दाने को जो तरसा है....
🙏🏻 🙏🏻-
सब संघर्ष और त्याग की
बड़ी बड़ी कहानियाँ लिख रहे थे
मैंने एक शब्द में पिता लिख दिया..-
एक एक करके शहर खुल चुके है
संभल कर रहना साहेब
जान बचाने भी अब थक चुके है-