उसने पूछा, "ठीक हो तुम?"
मैंने कहा, मुझे क्या ही होगा....
उसने फिर पूछा, "पक्का, ठीक हो ना तुम?"
अब उससे कैसे कहूं कि थक चुकी हूं....
कैसे बताऊं कि थक चुकी हूं, ये सोच-सोच कर कि जिंदगी में सब आगे बढ़ रहे हैं, और एक मैं हूं जो वक्त को पकड़े बैठी हूं ....
कैसे बताऊं कि ये "Change is Constant" वाली theory accept नहीं कर पा रही हूं....
कैसे बताऊं कि "Move On" बोलकर आगे बढ़ना तो है, पर जब भी कोशिश करती हूं, ये पैर थम से जाते हैं और दिल थोड़ा सुन्न सा हो जाता है ....
कैसे बताऊं कि दिमाग कोशिश तो कर रहा है, पर आंखें थोड़ी नम सी हो जाती हैं.....
उसे ये सब समझा तो नहीं सकती, इसीलिए मुस्कुरा कर, "हां मैं ठीक हूं, मुझे क्या होगा" बोलकर आगे बढ़ जाती हूं।
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