Kashif Saifi   (काशिफ़ ❣️)
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Joined 30 November 2017


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Joined 30 November 2017
28 APR AT 7:29

Meri Khushi ki wjh hai Teri ek tasveer ka hona..
Soch uska kya haal hoga jiski kismat me tu h !!

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19 APR AT 8:58

Me bas ek wade p thehra raha usi jagah...
Usne kaha tha intezar krna, me Laut aaunga...

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13 APR AT 23:13

जब तक ख़ुशमिज़ाजी में रहा, एक हुज़ूम था मेरे इर्द-गिर्द..
जहा कुछ गमों ने दस्तक दी, मैं तन्हा रह गया !!

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8 APR AT 4:52

Aa rhi hai ab har us cheez me tabdliya..
Jinki aadat lagai thi usne mujhe !!
Dil to nahi Manta mera par..
Yakeenan ab wo badal Raha hai !!

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3 APR AT 23:21

Ek khwahish thi tere sath jeene ki
Ek khwahish thi tere sath mahtab takne ki
Ek khwahish thi tujhe seene se lagane ki
Ek khwahish thi tujhe apna banane ki
Ek khwahish thi tujhse marasimat bdhane ki
Ek khwahish thi tujhe afsana banane ki
Ek khwahish thi tujhse mohabbat nibhane ki
Ek khwahish thi tujhe ghazal banane ki
Ek khwahish thi tujhe harf-ba-harf tatolne ki
Aur ab aalam ye hai ki...
Ek khwahish hai tujhe bhul Jane ki
Ek khwahish hai tujhse dooriya badhane ki
Ek khwahish hai tujhse tark-e-marasimat ki !!

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29 MAR AT 23:34

अगर उस पर ज़ाहिर हो जाए, उसका किरदार मेरी निगाहों से..
उस महज़बीन को खुद से मोहब्बत हो जाए !!

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29 MAR AT 23:30

वो कहता हैं बिछड़ने के बाद भी रखेगा मुझसे राब्ता..
नादान समझता हैं मुझे, मेरा दिल बहला रहा हैं !!

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29 MAR AT 23:24

जिंदगी में मैं भी ख्वाब देखा करता था..
मेरे उन्ही ख्वाबों को तोड़कर मुझे सताया गया !!
मुझे तलब ना थी जिसकी..
मुझे उसका तलबगार बना कर सताया गया !!
मैं उम्र भर जिस मुक़ाम पर आकर ठहर गया था..
मुझे उस मुक़ाम पर लाकर भी सताया गया !!
मैं जिस ज़ौक से उसकी निगाहों को देखता था..
मुझे उन्हीं निगाहों की क़ुरबत में सताया गया !!

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16 MAR AT 22:51

उसका अंदाज़ ही था सबसे ताल्लुक निभाने वाला..
वो शख़्स सिर्फ़ मुझसे तो रिफाकतें नहीं निभाने वाला ।।
मैं चाहूँ तो भी उससे तर्क–ए–मरासिमत नहीं कर सकता..
वो चाहें तो भी सिर्फ मेरा नहीं होने वाला ।।

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4 DEC 2023 AT 0:33

मैंने तुझे ख़्वाब में भी ख़्वाब लिखा हैं...
हसीन वक़्त का ख़ूबसूरत एहसास लिखा हैं ।।
हज़ारों लाखो की भीड़ है मौजुद मेरे इर्द गिर्द...
उन सब में मैंने तुझको इंतिखाब लिखा हैं ।।
तू हकीकत में, मेरी हसरत ही रही...
पर हसरतों में मैंने तुझे ख़्वाब लिखा हैं।।
तेरे जिस्म की मुझे कोई आरज़ू ही नहीं...
मैंने तो तुझे रूह का साज़ लिखा हैं ।।
अव्वल है तू मेरे हर मुकाम पर हरदम...
खुद को मैंने हमेशा तेरे बाद लिखा हैं।।

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