आखिर, मोहब्बत मे हारने वाले ही तो
सच्चे आशिक होते है
अपना सब कुछ खो कर सिर्फ उस
एक इंसान को पाने की चाहत रखते है
ज़माने से मुख्तलिफ, हवा के रुख के खिलाफ
बहना मंज़ूर करते है
अंदर से टूट जाते है ,पर हार नही मानते
आखिरी साँस तक उस इंसान का नाम
अपनी ज़ुबान पे लेते है
हर इबादत मे खुदा से उसकी दुआ करते है
इश्क़, अधूरा ही सही ,
सच्चे आशिक उसे कबूल करते है।
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And she was gone,
Too soon
Just like fireworks
They lit up and in a blink there’ll be nothing more than smoke and darkness.
I gave up on love and she gave up on life.
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उसकी एक हसी और मेरे हज़ारो ख्याल
उसका एक बार पलट कर देखना और
मेरा सारी रात मुस्कुराना
इसे इश्क़ कहूं या मुकद्दर का खेल ,
बस वक़्त को गुज़रते देख रहा हूँ
इजहार ए इश्क़ करने से ङर रहा हूँ-
हसरत नही रही अब तुझे पाने की
फिर भी तुझे खोने से डरता हूँ
हा , मै भी रोता हूँ
उस हँसी , उन पलों को याद करके
जिंदगी से कोई शिकायत नहीं है
आज भी मेरे हर दुआ मे तू शामिल है
वक़्त से नही हारा मै ,
बस हवाओ का रुख बदल गया
बेवफाई का बादल इस कदर छाया कि अब
मुझे तनहाइ मे ही सुकून मिल गया ।।
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हम तो उस ख्वाबों की दुनिया मे जी रहे थे,
जिसका इनसाफ़ ज़िन्दगी हमसे कभी न करती ।-
कुछ कहानियां ,
अधूरी ही अच्छी लगती है ।
अगर पूरी हो जाती
तो 'किस्मत' अपनी
फितरत कब आज़माती ?
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He lost himself.
In the world of realism
In the darkness of time
In the shades of life
A blissful retreat away from reality.
He lost his love,
Lived lifelessly
Just barely surviving
And then the divine's call
Took away his breath
But the soul ; still alive ,craving to be loved one last time .
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रुक जा , ज़रा सोच
क्यों तू अपनी पूरी जिंदगी लोगों के पीछे भाग रहा है ?
उन्हें तो चांद भी आसमां पर दाग लगता है
रुक जा ,एक बार फिर सोच ले
कही तू उसी इंसान से अपना इश्क तो
नहीं छुपा रहा जिसे खोने के ख्याल से भी तू डरता है ?
रुक जा ,थोड़ा तो सोच
जो फासले तूने अपनी जिंदगी से बना
रखी है क्या वो सही है ?
क्या छुपा रहा है तू और क्यो ?
इस जिंदगी में कोई किसी का अपना नही
रुक जा , थोड़ा और सोच
तू अपनी खुशी के लिए जीना चाहता है या लोगों की ?
अगर अपनी खुशी चाहता है तो कह दे उनसे
कि उनका तेरी ज़िंदगी पर कोई हक नही।
कह दे उनसे ताकि तू अपने ही सोच में कैद डर को हरा पाए ।
कह दे उनसे , हिम्मत कर
जी लेगा तू ज़िंदगी
जीत लेगा तू ज़िंदगी
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मोहब्बत हमे तब भी थी,
और आज भी है
बस फासले इतने ज़्यादा है कि
ये इश्क अपनी मंज़िल नहीं ढूंढ पा रहा है ।-