सुनो,
मुझे नही चाहिए तुमसे,
कोई महंगे तोहफ़े,
कीमती चीजें।
सुनो,
मुझे चाहिए
तुमसे बस इतना,
की जब भी मुझसे मिला करो,
बस मुझे देख मुस्कुराया करो।
सुनो,
मेरी चाहत को महसूस कर,
मुझसे दो-चार बातें कभी
कर लिया करो।
सुनो,
मुझे पसंद है, कविताएं,गजलें,उपन्यास पढ़ना,
जब कभी मुझ पर तुम्हें भी अपना प्रेम जताना हो,
मुझे देना तुम अपने पसंद की,
एक किताब कविता,गजल या उपन्यास।
सुनो,
मैं साहित्य से प्रेम करने वाला शख्स हूँ,अपनी कल्पनाओं में जीना पसंद करता हूँ,आजकल मेरी रचनाएं तुम्हारें इध-गिरध ही रहती है।
सुनो,
हो सकता है मैं कभी अपना प्रेम जता न पाऊं तुमसे,लेकिन तुम भी मेरी खामोशी को पढ़ लेना कभी मेरी रचनाओं के द्वारा।
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