समझना चाहोगे फिर भी,समझ ना आती है दुनिया ।
बदलता वक़्त,बदलते लोग,बदलती जाती है दुनिया।।
नहीं परवाह रिश्तों की, यहाँ करता कोई भी है,
सवालों के उलझनों में,उलझती जाती है दुनिया।।
कोशिश लाख कर लोगे, बनाने को इसे अपनी,
मगर ये रेत की तरह, फिसलती जाती है दुनिया।।
देखो होड़ कैसी है, यहाँ खुद को जिताने की,
गिरा कदमों में अपनों को,निकलती जाती है दुनिया।।
समझना चाहोगे फिर भी,समझ ना आती है दुनिया ।
बदलता वक़्त,बदलते लोग,बदलती जाती है दुनिया।।
PT.KARTIK
-