बीते साल की कहानी क्या सुनाऊ
जैसे गुजरी, नागवार ही गुजरी-
बहुत सारी बाते लिखना, फिर मिटा देना
चुप चुप रहते हुए अचानक मुस्कुरा देना
कोई समझने लगे फिर से मुझे अगर
तुम आकर,मुझे कोई और बता देना।
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जब कभी गाड़ी में बैठ सफ़र करते है
एक चीज समझ आती है
जब गाड़ी हमे आगे लेकर चलना शुरू कर देती है
तो रास्ते के कई खूबशूरत दृश्य पीछे छूटते चले जाते है।
संतोष ये रहता है कि मंजिल की तरफ़ हम जा रहे होते है
मगर पीछे छूटते हुए दृश्य का दुख साथ रहता है-
जब घर से दूर बैग लेकर पढ़ने दूसरे शहर जाता हूं
दोस्त,रिस्तेदार,माँ-बाप सब पूछते है...
वापस कब आना है?
कहने को एक तारीख हर बार बतलाना होता है।
पर अंदर अक्सर ये चलता रहता है कि अबकी ऐसे आना हो की सफलता साथ हो,
समाज मे जिसे सफलता गिना जाता है वो सफलता..सरकारी नौकरी वाली सफलता ।
हर बार खाली हाथ आना और उम्मीद दे जाना खुद को बहुत कचोटता है।-
ये होता तो कितना खूबसूरत होता
पर सच मानो ऐसा नही होता।
बीते बातें और खुशियों के दिन,
दुबारा लौट आए ,ऐसा कही नही होता।
किसी को याद करके खुद को न भुलाओ,
किसी को एक ही शख्श से
उल्फ़त दुबारा नही होता।
याद करना ,मुश्कुराना औरआंख भर लेना
इश्क न करते तो ये कहा होता।
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बहरूपिया
किस उम्र के दहलीज पर आ खड़े है
कितनी उधेड़बुन की जिंदगी लगती है यहां
इस दहलीज से थोड़ा पीछे मुड़ कर देखो..
दिखता है वो बेपरवाह बचपन
और आगे देखो जो यहां से तो,
खुद को हर मोड़ पर बदल बदल कर पेश करना पड़ता है
यहां से आगे जब भी हम बढ़ते है
हम, हम नही बहरूपिया होते है।
हम खुद कैसे है अंदर से पता न चले,
हम अक्सर इस बात से डरते है।-
कोई भुला रहा है किसी को
उसकी बाते याद करके
मुश्किल होता है भुलाना बहुत
सिद्दत से प्यार करके
At the end,love gives an unbearable and unspeakable pain .
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While traveling through a long route
What I discover is ..We leave things back as we move ahead and discover new things.
So travel to leave trouble back and find fun ahead.-