लो हो गया सवेरा ,पलके मसल के देखो
मंज़िल तो सामने है , बाहर निकल के देखो।
सागर उतावला है नदीया समेटने को ,
थोड़ा हम मचल के देखे थोड़ा तुम मचल के देखो।।
-विष्णु सक्सेना- कार्तिकेय
19 MAR 2020 AT 6:11
लो हो गया सवेरा ,पलके मसल के देखो
मंज़िल तो सामने है , बाहर निकल के देखो।
सागर उतावला है नदीया समेटने को ,
थोड़ा हम मचल के देखे थोड़ा तुम मचल के देखो।।
-विष्णु सक्सेना- कार्तिकेय