शायद उम्र भर मैंने किसी से मोहब्बत नहीं कि,
दिल को जो भाया उसका एहतिराम कर लिया।-
Shayar✍✍✍✍
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दिसंबर के महीने में एक बात हुई थी
एक शाम आंखे दोनो की चार हुई थी
हमारी इस रोज ऐसी मुलाकात हुई थी
कुछ इस तरह आगाज़-ए-ईश्क हुई थी-
तुम्हे भी शायद अब मैं खटकने लग गया हूं
यानी तुमने भी ईश्क नहीं व्यापार किया था।-
अधूरे लफ्ज़
मैं लिखता हूं अपनी कहानी
फिर भूल जाया करता हूं
दोस्तो से अपनी मोहब्बत का
जिक्र खूब किया करता हु
जब वो आके मुझसे पूछती
तुम मुझसे इश्क करते हो?
मैं मुंह पर उसके सीधे
मुकर जाया करता हूं।-
वो हर मरहमी शख्स मुझे ज़ख्म अदा किए
जो थे इलाज मेरे वो सिर्फ दर्द अदा किए।
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ईश्क ना तो सच्चा होता है और ना झूठा होता है
मोहब्बत मोहब्बत होती है और कुछ ना होता है।-
तेरे बाद कोई मुझे खूबसूरत ना लगा
तू थी तो मुझमें कोई रंज ही नहीं था
हुस्न तमाम थे कोई तुझ सा ना लगा
तेरे बाद मेरा दिल कही और ना लगा
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तेरे आंखो के मसकारे, तेरे होटों की लाली,
चांद से चेहरे पे तेरे लहराते जुल्फ, ये खुले गेसू
हाए तेरे हुस्न की ए साहिर गिरी
एक नजर जो देख ले तेरा दीवाना हो जाए।-
शुरुवात रिस्तो की हमारे दिवाली बाद हुई
ताजुब, खत्म भी दिवाली से पहले हो गई-
Happy diwali
दीप, बाती, तेल दान कर दस्त-गीर बन
जरूरत मंदो के घरों को अफ़रोज़ कर
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