Kartik SharmaKS3   (Kartik Sharma KS3)
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Tu badal me aaya
Joined 13 July 2020


Tu badal me aaya
Joined 13 July 2020
28 SEP 2022 AT 11:24

किसी को 3 दिन छप्पन भोग खिलाने से अच्छा है।
उसे 365 दिन कमा के खाना सिखाओ।
उसे रोजगार दिलाओ।

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5 SEP 2022 AT 6:58

गुरू बिना ज्ञान नही,वक्त बिना कोई महान नही।
शिक्षा बिना सम्मान नहीं,शिक्षा से बड़ा कोई हाथ नही।
गुरु से बड़ा कोई मान नहीं,सीख से बड़ा कोई आम नही।

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2 SEP 2022 AT 21:29

रूतबा जीत का बदल गया, जब बात हौसलों की हुई।
खड़ा था उस और किनारे,जब बात अपनो की हुई।

महफिल सजी थी परायों की ,लेकर जीत का पैगाम।
हमने अपना संघर्ष चुना, लेकर अपनो का फरमान।

हमारी चार दिन की हार,उनकी महीनों की जीत से बड़ी थी।
हौसला बेमिसाल, आंखों में तुफान, बजूओं में जान बड़ी थी।

वो जशन मनाते रहे ,हमने परायों को अपना बनाया।
वो झूठी शान दिखाते गए,हमने अपनो को ताज बनाया।

कुडसी भले तुम्हारी हुई, राज अपनो का होगा।
सत्ता पर भले कोई विराजे,पर ताज अपनो के सिर ही होगा।
पर ताज अपनो के सिर पर ही होगा।।।।।।












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9 MAY 2022 AT 0:32

खामोशी भी सुनती हैं कहानियां जब बात तेरी हुई ।
महफिल भी हज़ारों पुकारती तालियां, जब बात तेरी हुई।

तेरे हर दीदार पर खामोशी से ,खो रही मुस्कान मेरी।
तेरे हर चाल पर खैरियत पूछ, रही मुस्कान मेरी।

दिन बीत रहे चादर समेटे, न जाने कब तुझे भी मेरी परवाहा होगी।
क्या पता किस रोज तेरी ही मंजिल, के सामने हमारी कब मुलाकात होगी।

गिन रहा दिन सारे न जाने,फिर कब तुझसे मुलाकात होगी।
इस बार मिले जो हम, तेरी कुर्सी मेरी किताब होगी।

बैठे थे जहा वही रात होगी, तेरी ही शिकायत तुझ्से करके, फिर वो बरसात होगी।
पूछुगा तुझसे खामोशी में भी कहानी, पर इस बार दिल हारने की गलती दो बार नी होगी।










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22 APR 2022 AT 11:33

आखों ने वो कह दिया जो दिल ने छुपा रखा था।
होटों ने चुप रहकर भी तेरे नाम पे मुस्कुरा दिया।

अच्छा खासा दिन बीत रहा था मेरा।
लोगो ने तेरा जीकर करके मेरा ख़वाब फिर्से जगा दिया।

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17 MAR 2022 AT 0:25

न जाने किस ओर ले आई चाय सी मोहोब्बत

न्यौता सा भेज मुझे, बुला रही ये कैसी हसरत।
दिन गुरुवार,लिए दो पांच किताबे बैठी शक्षियत।

हाथ में मिट्टी का प्याला, बट रही यादों की पत्ती।
एक था बरसों का प्यासा,बैठे देख मोहब्बत अपनी।

बीत रहा वो दिन सारा,बैठे आन्टी की टपरी।
बेबस था वो नादान प्यारा,पलके झपकाए तिसरी।

दिल हार बेटा मिट्टी का प्याला,लेकर सपने चार।
पयाला खाली होता रह गया,लेकर वादे हजार।

चाय गायब होगई पलकों में दबाए मिठास।
पयाला खाली रह गया लिए चाय की खुशबू बरकरार।











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15 FEB 2022 AT 9:58

जिंदगी में कभी कामयाब इंसान से मत डरना।
डरना उससे जो कामयाब न हो या, जिसमे कामयाबी चखने की भूख हो।।— % &

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8 FEB 2022 AT 10:15

हर रोज सुबह गुफ्तगू से सिमट रही थी जिंदगी।।
दिन में चार तो शामको पयाले समेटे बीत रही जिंदगी।।

खिलाड़ी भी में पक्का था बिना जाम उठाए मदोश हुआ करता था ।
क्यो की जेब मैं अभी भी पड़ी थी उसके नाम की चिट्ठी।।।

चहरे पर मुस्कुराहट क्योंकि अभी भी पड़ा था एक हाथ में पत्ता।।
बाद-शाह वो फेक चुके थे अब बारी थी मेरे हुकुम के इक्के ( A ) की।।।— % &

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16 JAN 2022 AT 15:54

Ice cream bhi uski yaad me itne pyaar se khai mene.
Bc Nimoniya ho gaya.

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18 DEC 2021 AT 23:56

ख्वाब कई थे,पर ख्वाईश में वही थी।
इल्जाम कई थे,पर कबूल नामे में वही थी।

रोज बयां हो रही थी मोहोब्बत, हजारों दफा।।
पर
उनके दीदार कही ओर थे,पर मेरा आईना वही थी।।।

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