Kartik saraswat   (Kartik saraswat)
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Joined 21 August 2020


Joined 21 August 2020
22 NOV 2021 AT 11:54

अपनापन भर भर के छलके ....जिसकी बातों में,
सिर्फ कुछ ही तुम्हारे जैसे.... लोग होते हैं लाखों में...

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13 NOV 2021 AT 15:56

*हम तो जोड़ना जानते हैं, तोड़ना स़िखा ही नहीं,*

*ख़ुद टूट जातें हैं अक्सर, लेकिन किसी को छोड़ना स़िखा ही नहीं..!*

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24 JUL 2021 AT 9:52

सब धरती कागज करुँ,
लिखनी सब वनराज |
सात समुन्दर की मसी करुँ,
गुरु गुण लिखा न जाये ||

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11 JUN 2021 AT 10:55

सुमधुर सरस संगीत हो तुम
छंदों के रंगो का गीत हो तुम
तुम ही हो स्वप्नों के आकार
द्वंदो से उपजी जीत हो तुम

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15 MAY 2021 AT 20:00

ये मोहब्बत भी सरकारी नौकरी की तरह है
कम्बख्त किसी गरीब को मिलती ही नहीं

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15 MAY 2021 AT 19:52

मुसाफिर कल भी था,
मुसाफिर आज भी हूँ !
कल अपनों की तलाश में था,
आज अपनी तलाश में हूँ !!

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14 MAY 2021 AT 9:54

चलो बदल लेते हैं अपनी जिंदगी के कुछ हिस्से ।

हमारे जिंदगी की खुशियां तुम्हारी,तुम्हारे गम हमारे हिस्से।

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13 MAY 2021 AT 13:45

साथ भींगे बारिश में ये मुमकिन नहीं,
चलो भींगे यादो में तुम कहीं, मैं कहीं।

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12 MAY 2021 AT 10:25


वक़्त भी हालात भी सब गुजर गये।
बस हम बिखरते रहे वो निखर गये।

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12 MAY 2021 AT 10:20

नींद में भी गिरते हैं मेरी आँख से आंसू

जब भी तुम ख्वाबों में

मेरा हाथ छोड़ देती हो..-

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